2011-01-25 12:40:57

बैंगलौरः परधर्मपीठीय प्रतिनिधिमण्डल भारत के 56 धर्माध्यक्षों एवं ईश शास्त्रियों से मिला


वाटिकन से परमधर्मपीठ का एक प्रतिनिधिमण्डल, भारत की काथलिक कलीसिया के समक्ष प्रस्तुत कुछ धर्मसैद्धान्तिक प्रश्नों पर विचार विमर्श हेतु, भारत के 56 धर्माध्यक्षों एवं ईश शास्त्रियों से मिला। इस प्रकार की बैठक प्रतिवर्ष आयोजित की जाती है।

सोमवार को वाटिकन ने एक विज्ञप्ति प्रकाशित कर बताया कि बैंगलौर शहर में शनिवार को सम्पन्न सात दिवसीय सम्मेलन में विश्वास एवं धर्मसिद्धान्त सम्बन्धी परमधर्मपीठीय परिषद के अध्यक्ष कार्डिनल विलियम लेवादा तथा इसी परिषद के उपाध्यक्ष महाधर्माध्यक्ष लूईस लदारिया ने परमधर्मपीठीय प्रतिनिधिमण्डल का नेतृत्व किया।

इस सम्मेलन में भारत की तीनों रीतियाँ अर्थात् लातीनी, मलाबार एवं मलंकार रीतियों के धर्माध्यक्ष मौजूद थे। भारतीय धर्माध्यक्षों का नेतृत्व भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के अध्यक्ष मुम्बई के कार्डिनल ऑसवर्ल्ड ग्रेशियस तथा राँची के कार्डिनल टेलेस्फोर टोप्पो ने किया।

वाटिकन की विज्ञप्ति में इस बात की ओर ध्यान आकर्षित कराया गया कि इस प्रकार के सम्मेलन भारत की काथलिक कलीसिया द्वारा सन् 1996 से आयोजित किये जाते हैं जिनमें वाटिकन के धर्माधिकारियों की उपस्थिति का निवेदन किया जाता है। विज्ञप्ति में कहा गया कि सम्मेलन में भारतीय कलीसिया की अद्वितीय प्रकृति को रेखांकित किया गया जहाँ एक अरब लोगों में ख्रीस्तीय धर्मानुयायी केवल 2.3 प्रतिशत हैं।

इस बात पर बल दिया गया कि यद्यपि संख्या में ख्रीस्तीय धर्मानुयायी गौण हैं तथापि वे शिक्षा, चिकित्सा, जन कल्याण एवं लोकोपकारी कार्यों द्वारा भारत के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। इस सन्दर्भ में धर्मतत्व वैज्ञानिकों एवं ईशशास्त्रियों ने कलीसिया में ईश शास्त्रियों की भूमिका, पूर्व तथा पश्चिम में ईशशास्त्रीय तौर तरीके, सांस्कृतिकरण, येसु ख्रीस्त मुक्तिदाता, ख्रीस्त की कलीसिया एवं अन्य धर्मों के साथ उसके सम्बन्ध, यथार्थ मानव मुक्ति सम्बन्धी ख्रीस्तीय संकल्पना, विश्वास प्रेरित समुदाय की भूमिका तथा ख्रीस्तीय प्रार्थना एवं आध्यात्मिकता की विशिष्टता पर विचारों का आदान प्रदान किया।









All the contents on this site are copyrighted ©.