देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ करने से पूर्व संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें द्वारा दिया
गया संदेश
श्रोताओ, रविवार 23 जनवरी को संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने संत पेत्रुस बासिलिका के प्रांगण
में देश विदेश से आये हजारों तीर्थयात्रियों और पर्यटकों को देवदूत संदेश प्रार्थना का
पाठ करने से पूर्व इताली भाषा में सम्बोधित किया। उन्होंने कहा-
अतिप्रिय भाईयो
और बहनो,
इन दिनों 18 से 25 जनवरी तक ईसाईयों के मध्य एकता के लिए प्रार्थना सप्ताह
मनाया जा रहा है। इस वर्ष इसका मुख्य शीर्ष वाक्य प्रेरित चरित से लिया गया है जिसका
सारांश येरूसालेम के प्रथम ख्रीस्तीय समुदाय के जीवन को कुछ शब्दों में व्यक्त करता है-
विश्वासी दत्तचित्त होकर प्रेरितों की शिक्षा सुना करते थे, भ्रातृत्व के निर्वाह में
ईमानदार थे और प्रभु भोज तथा सामूहिक प्रार्थनाओं में नियमित रूप से शामिल हुआ करते थे।
यह बहुत प्रासंगिक है कि येरुसालेम में जमा हुए चर्चों और ख्रीस्तीय समुदायों द्वारा
इस वर्ष के शीर्ष वाक्य के लिए प्रस्ताव दिया गया था जो कलीसियाई एकतावर्द्धकता की भावना
में एकत्र हुए थे।
हम जानते हैं कि पवित्र भूमि और मध्य पूर्व क्षेत्र के भाई
बहनों को असंख्य परीक्षाओं और विषम परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। उनकी सेवा बहुत
कीमती है जो उनके द्वारा प्रदर्शित साक्ष्य से पुष्टि हुई है, कुछ मामलों में तो जीवन
का बलिदान देने से हुई है। इसलिए येरूसालेम में जीवन जी रहे समुदाय द्वारा अर्पित चिंतन
के कुछ बिन्दुओं का हम आनन्दपूर्वक स्वागत करते हैं। हम ईसाईयों को अपने जीवन को इन चार
महत्वपूर्ण सिद्धान्तों पर आधारित करना चाहिए- प्रेरितों के विश्वास पर नींव डाला गया
जीवन जिसका हस्तांतरण कलीसिया की जीवंत परम्परा में है, भ्रातृत्वमय सामुदायिकता, यूखरिस्त
और प्रार्थना।
केवल इस तरह ख्रीस्त के साथ निकट रूप से संयुक्त होकर कलीसिया
अपने सदस्यों की विफलताओं और सीमाओं, विभाजनों के बावजूद प्रभावशाली तरीके से अपने मिशन
को पूरा कर सकती है जिसका सामना प्रेरित पौलुस को कुरिंथ के समुदाय के समय करना पडा था
जैसा कि इस रविवार के दूसरे पाठ में कुरिंथियों के नाम पहले पत्र के अध्याय 1 पद संख्या
10 में स्मरण किया गया है- भाइयो, हमारे प्रभु ईसा मसीह के नाम पर मैं आप लोगों से यह
अनुरोध करता हूँ- आप लोग एकमत होकर दलबन्दी से दूर रहें। आप एक दूसरे से मेल मिलाप करें
और ह्दय तथा मन से पूर्ण रूप से एक हो जायें। वास्तव में, प्रेरित जानते थे कि कुरिंथ
के मसीही समुदाय के बीच विवाद और विभाजन उत्पन्न हो गया था इसलिए वे दृढ़तापूर्वक कहते
हैं- क्या मसीह खण्ड खण्ड हो गये हैं। इस तरह कहते हुए वे स्वीकार करते हैं कि कलीसिया
में हर प्रकार का विभाजन ख्रीस्त के विरूद्ध अपराध है और इसी समय केवल उन्हीं में, एक
प्रभु और शीर्ष में, उनकी न समाप्त होनेवाली शक्ति की कृपा से हम हमारे बीच एकता को पा
सकते हैं।
इसलिए सुसमाचार का आह्वान आज भी सदैव सार्थक है- मन परिवर्तन करो क्योंकि
ईश्वर का राज्य निकट है। ख्रीस्त की ओर मन परिवर्तन का गंभीर समर्पण ही वह रास्ता है
जो कलीसिया को आगे ले चलेगा ऐसे समय में जो ईश्वर द्वारा निर्धारित है- पूर्ण दृश्यमान
एकता की ओर।
विश्व भर में कलीसियाई एकतावर्द्धकता के लिए बढ़ते कार्यक्रमों की
संख्या इसका चिह्न है। यहाँ रोम में, अनेक कलीसियाई प्रतिनिधिमंडल उपस्थित हैं। काथलिक
कलीसिया और प्राचीन पूर्वी रीति की कलीसियाओं के मध्य संवाद के लिए गठित आयोग का सत्र
कल आरम्भ हो रहा है और परसों, सब ईसाईयों के मध्य एकता के लिए प्रार्थना सप्ताह का समापन
प्रेरित संत पौल के मनपरिवर्तन के पर्वदिवस को संध्याकालीन समारोही प्रार्थना सभा के
साथ होगा। कुँवारी माता, मरिया कलीसिया की माँ, इस पथ में सदा हमारे साथ रहें। इतना
कहने के बाद संत पापा ने देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ किया और सबको अपना प्रेरितिक
आशीर्वाद प्रदान किया।