2011-01-22 13:06:50

विश्व के ईसाई नेता थाईलैंड में


बैंकॉक, 22 जनवरी, 2011(उकान) वर्ल्ड कौंसिल ऑफ चर्चेस वर्ल्ड एवानजेलिकल अलायन्स और कैथोलिक चर्च के नेता थाईलैंड में विश्व ईसाई महाधिवेशन को अंतिम रूप देंगे।
इसके लिये थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक के अनोमा होटेल में विभिन्न कलीसियाओं के 50 प्रतिनिधियों की एक सभा बुलायी गयी है जो विश्व सम्मेलन को अंतिम रूप दिया जायेगा।
इस सभा के 25 जनवरी को होने वाले उद्घाटन समारोह में थाईलैंड के राष्ट्रपति अभिशीत वेजेजेवा के भाग लेने की संभावना है।
थाईलैंड की धर्माध्यक्षीय समिति के सूत्रों ने जानकारी दी है कि अन्तरकलीसियाई स्तर पर सन् 1977 इस प्रकार के विश्व महासम्मेलन पर विचार हो रहे थे।
वाटिकन के अंतरधार्मिक वार्ता के लिये बनी समिति और वर्ल्ड कौंसिल ऑफ चर्चेस ने अपने अंतरधार्मिक वार्ता एवं सहयोग योजना के तहत् वर्षों से इस महासम्मेलन की संभावना पर विचार कर रही थी।
धार्मिक नेताओं ने जो कार्ययोजना बनायी है उसे ‘क्रिश्चियन विटनेस इन अ मल्टी रेलिजियस वर्ल्डः रेकोमेन्डेशन फॉर कोड ऑफ कोनडक्ट’ के नाम से जाना जायेगा। उसमें तीन बातों को शामिल किया गया है।
पहले भाग में इस बात पर विचार किया जा चुका है कि ईसाई विश्व में अपना साक्ष्य कैसे देंगे। इस संबंध में सन् 2006 में इटली के लरियानों में एक सभा का आयोजन किया गया था जिसमें विभिन्न धर्मों के 27 लोगों ने हिस्सा लिया था।
दूसरे भाग में धर्मपरिवर्तन के नैतिक पहलु को अध्ययन करने के लिये फ्रांस के तौलाउस में सन् 2007 में एक सम्मेलन का आयोजन किया गया था जिसमें विभिन्न कलीसियाओं के 27 नेताओं ने भाग लिया था।
तीसरे चरण में चार संयुक्त सभाओं का आयोजन किया गया था जिसमें पीसीआईडी और डबल्यु सी सी ने जेनेवा और रोम में सभाओं का आयोजन किया और एक योजना तैयार की है।
बैंकॉक में अगले सप्ताह होने वाले महासम्मेलन में धार्मिक नेता उन मुद्दों और सिफारिशों को अंतिम रूप देंगे और विभिन्न कलीसियों से इसके समर्थन का प्रस्ताव रखेंगे।
थाईलैंड की धर्माध्यक्षीय समिति द्वारा गयी जानकारी के अनुसार मार्च 2011 में कार्ययोजना की सिफ़ारिशों को सार्वजनिक किया जायेगा।
नेताओं ने कहा है कि विश्व में कई ईसाई कलीसियायें कार्यरत हैं अतःइस बात को निश्चित किया जाना उचित है कि वे सौहार्दपूर्ण वातावरण में कार्य करें।
आशा की जा रही है कि बैंकॉक में होने वाली सभा आपसी समझदारी और सद्भाव की दिशा में एक महत्वपूर्ण योगदान सिद्ध होगा और शांतिपूर्ण सहअस्तित्व के सपने को साकार किया जा सकेगा।












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