मानवाधिकार आयोग ने कंधमाल के लोगों के पुर्नवास पर उड़ीसा सरकार से रिपोर्ट माँगा
नेशनल ह्यूमन राइटस कमीशन एनएचआरसी ने सन 2008 में ख्रीस्तीय विरोधी हिंसा का केन्द्र
रहे कंधमाल के लोगों के पुर्नवास पर उड़ीसा सरकार से एक रिपोर्ट माँगा है। के जी बालाकृष्णन
की अध्यक्षता में 18 और 19 जनवरी को आयोग ने राज्य का दौरा किया तथा सरकार से एक आपातकालीन
योजना प्रस्तुत करने को कहा ताकि राज्य में साम्प्रदायिक हिंसा की घटनाओं से बचा जा सके।
आयोग ने मानवाधिकार हनन के 62 मामलों पर विचार किया जिसमें किसानों की आत्महत्या, विस्थापन
तथा जाति संबंधित हिंसा के मामले शामिल थे। मानवाधिकार आयोग की टीम ने राज्य के मुख्यमंत्री
नवीन पटनायक के अतिरिक्त अनेक वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों और गैर सरकारी संगठनों के प्रतिनिधियों
से भी मुलाकात की।
दलित मानवाधिकार कार्यकर्त्ता अधिकानन्द सिंह ने कहा कि आयोग
ने उन्हें आशवासन दिया कि वे सरकार से पुनर्वास पैकेज तथा साम्प्रदायिक हिंसा की घटना
नहीं होने के लिए आकस्मिक योजना के बारे में विस्तृत रिपोर्ट माँगेगे। उन्होंने कहा कि
आयोग ने कंधमाल में मानवाधिकार हनन के मामलों पर लिखित शिकायत देने को कहा है।
अधिकानन्द
सिंह ने कहा कि कंधमाल की स्थिति का अध्ययन करने के लिए विशेष रिपोर्टकर्ता होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि अपराधों के लिए न्याय देने की पद्धति विफल रही है जो यह दिखाती है कि
सबके लिए न्याय उपलब्ध कराने के लिए राज्य तैयार नहीं है।
मानवाधिकार कार्यकर्त्ता
सिस्टर जस्टिन सेनापति ने सरकार के उस दावे को मानने से इंकार किया है कि वह कंधमाल के
पीड़ितो के लिए उपयुक्त पुर्नवास पैकेज उपलब्ध करा रही है। उन्होंने कहा कि सरकार को
इंकार करने की राजनीति से बाहर आना चाहिए और वह मानवाधिकार हनन के वास्तविक मुददों को
देखे।