2011-01-10 17:07:31

देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ करने से पूर्व संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें द्वारा दिया गया संदेश


श्रोताओ, रविवार 9 जनवरी को संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने संत पेत्रुस बासिलिका के प्रांगण में देश विदेश से आये हजारों तीर्थयात्रियों और पर्यटकों को देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ करने से पूर्व इताली भाषा में सम्बोधित किया। उन्होंने कहा-

अतिप्रिय भाईयो और बहनो,

आज कलीसिया प्रभु येसु के बपतिस्मा का समारोह मनाती है, यह पर्व क्रिसमस के पूजनजयंती काल का समापन होता है। ख्रीस्त के जीवन के यह रहस्य दर्शनीय रूप से दिखाता है कि उनका देह धारण करना तीन दिव्य व्यक्तियों के प्रेम का विनम्र कृत्य है। हम यह कह सकते हैं कि इस रचनात्मक, मुक्तिदायी और पवित्रकारी कृत्य के समारोही घटना द्वारा येसु के सार्वजनिक मिशन में, उनकी शिक्षाओं में, चमत्कारों में उनके दुःखभोग, मृत्यु और पुनरूत्थान में पवित्र त्रित्व बढ़ते रूप से अभिव्यक्त होंगे। वस्तुतः हम संत मत्ती रचित सुसमाचार में पढ़ते हैं कि बपतिस्मा के बाद ईसा तुरंत जल से बाहर निकले। उसी समय स्वर्ग खुल गया और उन्होंने ईश्वर के आत्मा को कपोत के रूप में उतरते और अपने ऊपर ठहरते देखा और स्वर्ग से यह वाणी सुनाई दी, यह मेरा प्रिय पुत्र है। मैं इस पर अत्यंत प्रसन्न हूँ।

पवित्र आत्मा पुत्र पर आ ठहरते हैं और उनकी दिव्यता का साक्ष्य देते हैं जबकि स्वर्ग से आती हुई पिता की आवाज प्रेम की सामुदायिकता को अभिव्यक्त करती है। बपतिस्मा दृश्य का समापन हमें बताता है कि येसु ने इस यथार्थ अभिषेक को पाया है कि वे ही अभिषिक्त जन हैं जिनकी प्रतीक्षा की जा रही थी, नबी इसायस की भविष्यवाणी की अभिपुष्टि करती है- देखो, यह मेरा सेवक है मैं इसे संभालता हूँ। मैंने इसे चुना है। मैं इस पर अत्यंत प्रसन्न हूँ। वे वास्तव में मसीह हैं सर्वोच्च ईश्वर के पुत्र , यर्दन नदी के जल से बाहर आते हुए आत्मा में पुनःजन्म लेने की स्थापना करते हैं और जो लोग कामना करते हैं उनके लिए ईश्वर की संतान बनने की संभावनाओं के द्वार खोलते हैं।
यह संयोग नहीं है लेकिन वास्तव में कि बपतिस्मा प्राप्त प्रत्येक व्यक्ति ईसाई नाम में पुत्र के चरित्र को पाता है, अविवादित चिह्न कि पवित्र आत्मा मुनष्य को कलीसिया की कोख से पुनः जन्म लेने के लिए ले चलते हैं। धन्य अंतोनियो रोसमिनी कहते हैं कि बपति्स्मा संस्कार प्राप्त व्यक्ति गुप्त लेकिन सबसे अधिक ताकतवर अभियान से होकर गुजरता है जिसके द्वारा वह अलौकिक स्तर तक उठाया जाता है। वह ईश्वर के साथ संवाद करने के लिए ऱखा जाता है। यह सब पुनः आज सिस्टीन प्रार्थनालय में समारोही ख्रीस्तयाग के समय पूरा हुआ जहाँ मैंने 21 नवजात शिशुओं को बपतिस्मा संस्कार प्रदान किया।
प्रिय मित्रो, बपतिस्मा आध्यात्मिक जीवन की शुऱूआत है जो अपनी परिपूर्णता कलीसिया के द्वारा पाती है। यह संस्कार दिये जाने के शुभ पल में, जब कलीसियाई समुदाय प्रार्थना करता तथा एक नये शिशु को ईश्वर को सौंपता है, अभिभावक और धर्म माता पिता बपतिस्मा प्राप्त नये व्यक्ति का स्ववागत करते हुए उसके ख्रीस्तीय प्रशिक्षण और शिक्षण के लिए समर्थन देने का समर्पण व्यक्त करते हैं। यह एक महान जिम्मेदारी है जो महान उपहार से आती है। इसलिए मैं सब विश्वासियों को प्रोत्साहन देना चाहता हूँ कि बपतिस्मा संस्कार पाने तथा ईश्वर के महान परिवार का सदस्य होने के सौंदर्य की पुर्नखोज करें और अपने विश्वास का आनन्दपूर्ण साक्ष्य दें ताकि वे भलाई और मैत्री के फलों को उत्पन्न करें।

यह हम धन्य कुँवारी माता मरियम, ख्रीस्तीयों की सहायता की मध्यस्थता से माँगते हैं जिन्हें हम अभिभावकों और धर्मशिक्षकों को सौंपते हैं जो अपने बच्चों को बपतिस्मा संस्कार पाने के लिए तैयार कर रहे हैं। मेरी कामना है कि सम्पूर्ण समुदाय पवित्र आत्मा के जल से पुनः जन्म लेने की खुशी में सहभागी हो।

इतना कहने के बाद संत पापा ने देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ किया और सबको अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।

तदोपरांत संत पापा ने कहा कि मरियम प्रार्थना के संदर्भ में वे अपने विशेष विचार और मंतव्य हैती के निवासियों के लिए अर्पित करना चाहते हैं जहाँ भयंकर भूकम्प के एक साल बाद भी दुर्भाग्यवश गंभीर हैजा का संक्रमण हुआ। परमधर्मपीठीय समिति कोर उन्नुम के अध्यक्ष कार्डिनल राबर्ट साराह कैरिबियाई द्वीपों की यात्रा कर रहे हैं ताकि वहाँ के लोगों के लिए मेरी और सम्पूर्ण कलीसिया की सतत चिंता को अभिव्यक्त कर सकें।

संत पापा ने अंग्रेजी भाषी तीर्थयात्रियों को सम्बोधित करते हुए कहा-

मैं देवदूत संदेश प्रार्थना के लिए यहाँ उपस्थित तीर्थयात्रियों और पर्यटकों का सहर्ष स्वागत करता हूँ। आज कलीसिया प्रभु के बपतिस्मा लेने का समारोह मनाती है तथा ईश्वर की प्रकाशना पर पुनः एक बार मनन चिंतन करती है जो मानवजाति के समीप हैं, जो येसु ख्रीस्त में अपने लोगों को देखने आते हैं ताकि उन्हें पाप और मृत्यु की निरंकुशता से मु्क्त कर सकें। हम अपने दिलों के दरवाजों को ख्रीस्त के लिए खोलें और आज के विश्व में उनका स्वागत करें। आप सब पर ईश्वर की कृपा प्रचुर मात्रा में हो।








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