2011-01-03 12:37:24

वाटिकन सिटीः दो जनवरी 2011 को देवदूत प्रार्थना से पूर्व दिया गया सन्त पापा का सन्देश


वाटिकन स्थित सन्त पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में, एकत्र देश विदेश के तीर्थयात्रियों को, रविवार 2 जनवरी को, सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने इस प्रकार सम्बोधित कियाः

"अति प्रिय भाइयो एवं बहनों,
नववर्ष के उपलक्ष्य में एक बार फिर मैं आप सबके प्रति हार्दिक शुभकामनाएँ अर्पित करता हूँ तथा उन सबको शत शत धन्यवाद देता हूँ जिन्होंने आध्यात्मिक सामीप्य व्यक्त करते हुए मुझे सन्देश प्रेषित किये हैं। इस रविवार की धर्मविधि, ख्रीस्तजयन्ती के दिन उदघोषित, सन्त योहन रचित सुसमाचार के आमुख की पुनर्प्रस्तावना करती है। गीत के रूप में प्रस्तुत, यह वैभवशाली सुसमाचार पाठ देहधारण के रहस्य को अभिव्यक्ति प्रदान करता है, जिसका प्रचार चश्मदीद गवाहों अर्थात् प्रेरितों, और, विशेष रूप से, सन्त योहन ने किया था जिनका पर्व हम 27 दिसम्बर को मनाते हैं। आक्विलेइया के सन्त क्रोमात्सियो इस तथ्य की पुष्टि करते हैं कि "योहन प्रभु के शिष्यों में सबसे छोटे थे; उम्र में सबसे छोटे, किन्तु विश्वास में सबसे अधिक परिपक्व" (Sermo II, 1 De Sancto Iohanne Evangeliste, CCL 9 a, 101) । जब हम पढ़ते हैं: "आदि में शब्द था, शब्द ईश्वर के साथ था और शब्द स्वयं ईश्वर था" (योहन 1,1) सुसमाचार लेखक जिनकी तुलना परम्परागत रूप से गरुड़ से की जाती है, मानव इतिहास के परे ईश्वर की गहराई में झाँकने का प्रयास करते हैं; किन्तु इसके तुरन्त बाद, अपने प्रभु और गुरु का अनुसरण करते हुए, वे, धरती के आयामों का ओर पुनः लौटते और कहते हैं: "और शब्द ने देहधारण किया" (योहन 1,14)।"

सन्त पापा ने कहाः ........ "शब्द, एक सजीव वास्तविकता हैः ऐसा ईश्वर जिसने स्वयं मानव का रूप धारण कर हमसे बात की" (J.Ratzinger, Teologia della liturgia, LEV 2010, 618)। वस्तुतः, सन्त योहन कहते हैं: "शब्द ने शरीर धारण कर हमारे बीच निवास किया। हमने उसकी महिमा देखी। वह पिता के एकलौते की महिमा-जैसी है- अनुग्रह और सत्य से परिपूर्ण" (योहन 1,14)। सन्त लियो महान लिखते हैं, "उन्होंने हमारी स्थिति की दीनता धारण करने के लिये, अपनी ऊँचाई को कम किये बिना, अपने आप को दीन हीन बना लिया।" सन्त योहन रचित सुसमाचार के आमुख में हम यह भी पढ़ते हैं: "उनकी परिपूर्णता से हम सब को अनुग्रह पर अनुग्रह मिला है" (योहन 1,16)। यह प्रश्न करते हुए कि हमें प्राप्त पहली कृपा कौनसी है? सन्त अगस्टीन उत्तर में कहते हैं पहली कृपा है विश्वास" और दूसरी कृपा जो विश्वास के तुरन्त बाद मिली वह है, "अनन्त जीवन"।"

तदोपरान्त स्पेन के मैडरिड शहर में ख्रीस्तीय परिवारों के एक सम्मेलन को स्पानी भाषा में सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहाः ...... "ख्रीस्तीय परिवार यूरोप की आशा" शीर्षक के अन्तर्गत, विवाह और परिवार के मूल्यों का समारोह मनाने के लिये स्पेन के मैडरिड शहर के प्लाज़ा दे कोलोन चौक में एकत्र अनेक धर्माध्यक्षों, पुरोहितों एवं हज़ारों परिवारों का मैं अभिवादन करता हूँ। प्रिय मित्रो, मैं आप सबको प्रेम में सुदृढ़ बनने के लिये आमंत्रित करता हूँ। मैं आपसे निवेदन करता हूँ कि आप क्रिसमस के रहस्य पर विनम्रता पूर्वक मनन करें जो हृदयों का स्पर्श करता रहता तथा परिवार एवं भातृत्व की हमें प्रेरणा देते रहता है। पवित्र कुँवारी मरियम की ममतामयी दृष्टि, पालक पिता सन्त योसफ का संरक्षण एवं शिशु येसु की सौम्य उपस्थिति वह स्पष्ट दृश्य है जिसे हर ख्रीस्तीय परिवार में होना चाहिये। ऐसे परिवार जो आपसी विश्वास, आपसी निष्ठा, समझदारी एवं आपसी सम्मान के गर्भ गृह हों ताकि विश्वास से परिपूर्ण वे उदारता का प्रसार करें। मैं सभी ख्रीस्तीय परिवारों को प्रोत्साहन देता हूँ कि वे अपने परिवार में प्रेम को विकसित करते रहें तथा जीवन की रक्षा के प्रति अपने समर्पण को नवीकृत करते रहें। आप अपने परिवारों एवं अपने घरों को मूल्यों से सम्पन्न धाम बनायें ताकि वह विश्वास का विश्रान्तिपूर्ण एवं आलोकित स्थल बन जाये। इन भावों के साथ मैं सम्मेलन में उपस्थित सभी परिवारों को नाज़रेथ के पवित्र परिवार के सिपुर्द करता हूँ और यह मंगलकामना करता हूँ कि सभी ख्रीस्तीय परिवार आनन्द, आपसी आदान प्रदान तथा उदारता में जीवन यापन करें। आप सब पर प्रभु की अनुकम्पा सदा बनी रहे।"

अन्त में सन्त पापा ने इस तरह प्रार्थना कीः "पवित्र कुँवारी मरियम से, जिन्हें प्रभु ने उस शिष्य के सिपुर्द किया जिन्हें वे सबसे अधिक प्यार करते थे, हम निवेदन करें ताकि हम भाईचारे के साथ एक दूसरे का प्रेमपूर्वक स्वागत कर सकें तथा "ईश्वर से उत्पन्न सन्तान" (योहन 1,13) के योग्य आचरण कर सकें।"

इतना कहकर सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने सबके प्रति नववर्ष की मंगलकामनाएँ अर्पित कीं तथा सभी पर ईश्वर की कृपा एवं शांति का आह्वान कर सबको अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया। ...............







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