2010-12-29 20:35:38

बुधवारीय-आमदर्शन समारोह के अवसर पर
संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें का संदेश
29 दिसंबर, 2010


रोम, 29 दिसंबर 2010 (सेदोक, वीआर) बुधवारीय आमदर्शन समारोह में संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें ने पौल षष्टम् सभागार में एकत्रित हज़ारों तीर्थयात्रियों को विभिन्न भाषाओं में सम्बोधित किया। उन्होंने कहा-

मेरे अतिप्रिय भाइयो एवं बहनों आज की धर्मशिक्षामाला में बोलोनिया के संत कथरीना के जीवन पर मनन चिंतन करें जो 15वीं शताब्दी में ‘पूअर क्लेर’ की एक बुद्धिमत्ता और सुसंस्कृत मठवासिनी थी।

संत कथरीना का जन्म कुलीन परिवार में हुआ था और उन्होंने अपने बचपन फेर्रारा के राजदरबार में बिताया।

जब वह सिर्फ़ 14 साल की थी उसी समय उन्होंने धर्मसमाजी जीवन के प्रति अपना उत्साह दिखलाया और अपने को सामूदायिक जीवन के लिये समर्पित करते हुए पुअर क्लेर के धर्मसमाज में प्रवेश किया।

अपने आध्यात्मिक जीवन में उन्होंने कई दुविधाओं और प्रलोभनों का सामना करते हुए गहरे आध्यात्मिक सांत्वना का अनुभव किया। अपने आध्यात्मिक अनुभवों को उन्होंने अपनी किताब " द सेवेन स्पिरिचुअल वेपन्स " (सात आध्यात्मिक हथियार) में लिख डाला।

इस किताब में उन्होंने अपने जीवन में प्राप्त अनेक कृपाओं की चर्चा की।

उन्होंने यह भी लिखा है कि किस तरह से बुराई के प्रलोभनों पर विजय प्राप्त किया जा सकता है।

कथरीना ने इस किताब में महाविचार की कठोरता और ईश्वर की महत्ती दया के बारे अपनी अंतर्दृष्टि का बख़ान किया है। कथरीना का सारा जीवन नम्रता औऱ आज्ञापालन का एक अद्वितीय नमूना था।

उसके अनुसार आज्ञाउल्लंघन आध्यात्मिक घमंड का चिह्न है जो गुणों का विनाश करता है।

आज बोलोनिया की संत कथरीना हमें प्रेरित करे कि हम भी ईश्वर के समक्ष नम्र और आज्ञाकारी बनें और अपने जीवन में ईश्वर की योजना को वफ़ादारीपूर्वक जीयें।

इतना कहकर संत पापा ने अपना संदेश समाप्त किया।

उन्होंने लूभेन के अमेरिकन कॉलेज के सेमिनेरियनों, इंगलैंड और नोर्वे के लुथरन कलीसिया के प्रतिनिधियों इंगलैंड और नोर्वे से लूथरन कलीसिया के प्रतिनिधियों, यहूदी प्रतिनिधियों, अमेरिका तथा के तीर्थयात्रियों, उपस्थित लोगों एवं उनके परिवार के सब सदस्यों पर बालक येसु प्रभु की कृपा और शांति का कामना करते हुए कहा की उन्हें अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।








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