2010-12-29 12:31:36

उड़ीसाः कंधमाल फैसले ने किया ईसाई पीड़ितों को प्रसन्न


उड़ीसा में ईसाई विरोधी हिंसा के शिकार लोगों और राहत कार्यकर्त्ताओं ने आगजनी के मामले में, कंधामाल की एक अदालत द्वारा, नौ व्यक्तियों के विरुद्ध दिये गये फैसले पर हर्ष व्यक्त किया है।

सज़ायाफ्ताओं में एक सरकारी हाई स्कूल शिक्षक तथा कान्धामाल ज़िले के एक हिंदू कट्टरपंथी नेता शामिल हैं।

अदालत ने उन्हें, जेल में, पाँच वर्षों की कड़ी मेहनत और 5,000 रुपए अर्थदण्ड की सजा सुनाई। यदि वे पाँच हज़ार रुपये भुगतान में असफल होते हैं तो उन्हें एक और वर्ष कारावास में बिताना पड़ेगा।

सज़ायाफ्ता उक्त नौ व्यक्तियों को कान्धामाल ज़िले के दमंगपडर गाँव में ईसाई लोगों के घरों को आग के हवाले करने का आरोपी पाया गया।

2008 की ईसाई विरोधी हिंसा के पीड़ितों की वकालत करनेवाले काथलिक पुरोहित फादर दिबाकर पारिच्छा ने कहा, "हमें इस तरह के फैसले का इंतजार है।" उन्होंने कहा कि यह फैसला पीड़ितों में विश्वास को जगायेगा।

उड़ीसा में कार्यरत, "ह्यूमन राइट्स लॉ नेटवर्क" के वकील मानस रंजन सिंह ने उक्त फैसले को एक महान सफलता निरूपित किया क्योंकि सज़ायाफ्ताओं में कन्धामाल के बहुत ही प्रभावशाली व्यक्ति शामिल हैं।

स्थानीय पल्ली पुरोहित फादर प्रसन्न सिंह ने कहा कि फैसले ने लोगों को राहत दिलाई है। उन्होंने कहा कि इन व्यक्तियों ने जनता को आतंकित किया था। उन्होंने आशा व्यक्त की अब लोग अदालत के समक्ष अपना बयाँ देने का साहस जुटा पायेंगे।

ग़ौरतलब है कि उड़ीसा के कान्धामाल ज़िले में 24 अगस्त सन् 2008 को आरम्भ हुई ईसाई विरोधी हिंसा सात सप्ताहों तक चली थी। इसमें 95 व्यक्तियों की हत्या हो गई थी तथा 450 गाँवों में ईसाईयों के लगभग साढ़े छः हज़ार मकानों को ध्वस्त कर दिया गया था।







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