2010-12-27 12:08:44

रविवार को देवदूत प्रार्थना से पूर्व दिया गया सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें का सन्देश


श्रोताओ, रविवार, 26 दिसम्बर को, काथलिक कलीसिया ने येसु मरियम एवं योसफ के पवित्र परिवार का पर्व मनाया, इस उपलक्ष्य में, रोम स्थित सन्त पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में एकत्र तीर्थयात्रियों को, सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने, देवदूत प्रार्थना से पूर्व, इस प्रकार सम्बेधित कियाः

"अति प्रिय भाइयो एवं बहनो,

सन्त लूकस रचित सुसमाचार हमें बताते हैं कि स्वर्गदूत द्वारा मसीह के जन्म की उदघोषणा ग्रहण करने के बाद, बेथलेहेल के चरवाहे, बिना विलम्ब, मरियम, योसफ एवं चरनी में लेटे बालक की भेंट करने निकल पड़े (2,16)। इस प्रकार, येसु के जन्म के प्रथम चश्मदीद गवाहों ने, माता, पिता एवं नवजात पुत्र से गठित परिवार का एक दृश्य देखा। इसी कारण, ख्रीस्तजयन्ती के तुरन्त बाद पड़नेवाले रविवार को धर्मविधिक पंचाग हमें पवित्र परिवार का पर्व मनाने के लिये आमंत्रित करता है। इस वर्ष, यह ख्रीस्तजयन्ती महापर्व के ठीक एक दिन बाद, सन्त स्टीवन के पर्व के दिन ही पडा है तथा हमें उस दृश्य पर चिन्तन हेतु आमंत्रित करता है जिसमें शिशु येसु अपने माता पिता के स्नेह एवं दुलार से घिरे आकर्षण के केन्द्र बने हुए हैं। कलीसिया के पूर्वाचार्य लिखते हैं – बेथलेहेम की निर्धन गऊशाला में एक उज्जवल प्रकाश चमका जो शिशु येसु के उस गूढ़ रहस्य का प्रतिबिम्ब था जिसे मरियम एवं योसफ ने अपने हृदयों में संजोये रखा तथा जिसे वे अपनी आँखों, अपने कार्यों तथा सबसे अधिक अपने मौन से प्रकट कर रहे थे। वस्तुतः, वे अपने अन्तरमन में, मरियम से देवदूत द्वारा कहेः "जो आप से उत्पन्न होगा वह ईश पुत्र कहलायेगा" शब्दों को संजोकर रख रहे थे" (लूकस 1,35)।"

सन्त पापा ने आगे कहा................ "तथापि, हर शिशु का जन्म इस रहस्य का कुछ न कुछ अपने साथ लेकर आता है। जन्म लेने वाले शिशु को वरदान स्वरूप ग्रहण करनेवाले माता पिता इस बात को भली भाँति जानते हैं, तथा इसके विषय में चर्चा भी करते हैं। हम सब को कभी न कभी एक पिता या एक माता से यह सुनने को मिला हैः "यह बच्चा एक वरदान है, यह एक चमत्कार है।" वस्तुतः, मानव प्राणी प्रजनन को केवल उत्पादन के एक कृत्य रूप में नहीं देखते, अपितु उसमें निहित समृद्धि को पहचानते हैं, इस अन्तरदृष्टि को प्राप्त कर लेते हैं कि इस धरती पर जन्म लेनेवाला हर मानव प्राणी सृष्टिकर्त्ता एवं स्वर्ग में विराजमान पिता का परमश्रेष्ठ चिन्ह है। अस्तु, यह कितना महत्वपूर्ण है कि विश्व में आनेवाले हर शिशु का परिवार में सस्नेह स्वागत किया जाये। इसके लिये बाहरी तड़क भड़क की कोई आवश्यकता नहीं: येसु ने एक गऊशाले में जन्म लिया और प्रथम पालने के रूप में उन्हें एक चरनी मिली, किन्तु मरियम एवं योसफ के प्रेम ने उन्हें प्रेम किये जाने की कोमलता एवं सुन्दरता का एहसास कराया। बच्चों को इसी स्नेह की आवश्यकता हैः माता और पिता के प्रेम की। यही प्रेम उन्हें सुरक्षा प्रदान करता है और यही उनके विकास में, जीवन के अर्थ की खोज को सम्भव बनाता है। नाज़ेरथ का पवित्र परिवार कई कठिनाइयों एवं परीक्षा की कई घड़ियों से गुज़रा उदाहरणार्थ सन्त मत्ती रचित सुसमाचार के अनुसार निर्दोष बच्चों की हत्या जिसके कारण योसफ और मरियम को मिस्र देश तक आप्रवास करने के लिये बाध्य होना पडा (दे. 2,13-23)। किन्तु, ईश्वरीय विधान में विश्वास करते हुए, उन्होंने अपने स्थायित्व को पाया तथा येसु को एक शांतिपूर्ण बाल्यकाल एवं प्रभावात्मक लालन पालन का आश्वासन दिया।"

आगे सन्त पापा ने कहा....... "प्रिय मित्रो, पवित्र परिवार, निश्चित्त रूप से एक बेजोड़ एवं अद्वितीय परिवार है, तथापि, इसके साथ ही वह हर परिवार के लिये जीवन यापन का आदर्श है, क्योंकि यथार्थ मानव, येसु ने एक मानव परिवार में जन्म लेना चाहा और ऐसा कर उन्होंने मानव परिवार को आशीष दी तथा उसे ईश्वर के प्रति समर्पित कर दिया। इसलिये आइये सभी परिवारों को हम पवित्र कुँवारी मरियम एवं योसफ के सिपुर्द करें ताकि वे कठिनाइयों एवं परीक्षाओं से हताश न होवें बल्कि वैवाहिक प्रेम को नित्य विकसित करते रहें तथा विश्वासपूर्वक जीवन एवं बच्चों के विकास के लिये स्वतः को समर्पित करें।"

इन शब्दों से सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने पवित्र परिवार पर अपना चिन्तन समाप्त किया तथा सब पर प्रभु की अनुकम्पा का आह्वान कर सबको अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।

तदेपरान्त सन्त पापा ने यह अपील जारी कीः ...................... "ख्रीस्तजयन्ती की इस पावन अवधि में शांति की इच्छा तथा शांति के लिये याचना की इच्छा और भी तीव्र हो उठी है क्योंकि हमारा विश्व में, विशेष रूप से ख्रीस्त के अनुयायियों के विरुद्ध, हिंसा अनवरत जारी है। बड़े दुःख के साथ मुझे, फिलीपिन्स में एक काथलिक चर्च तथा नाईजिरिया में अनेक ख्रीस्तीय गिरजाघरों पर आक्रमणों के बारे में पता चला है, ये आक्रमण ठीक उस समय हुए जब ख्रीस्तजयन्ती महापर्व के दिन की धर्मविधियाँ सम्पादित की जा रही थीं।"

उन्होंने आगे कहा........... "एक बार फिर धरती पर खून के दाग लगे जैसा कि पाकिस्तान में हुआ। इस निर्रथक हिंसा के शिकार बने लोगों के प्रति मैं हार्दिक संवेदना व्यक्त करता हूँ और साथ ही एक बार पुनः घृणा के मार्ग के परित्याग हेतु अपील को दुहराता हूँ ताकि शांतिपूर्ण समाधान का रास्ता ढूँढ़ा जा सके तथा इन प्रिय लोगों को सुरक्षा एवं शांति में जीवन यापन का आश्वासन मिल सके।"

पवित्र परिवार के पर्व के सन्दर्भ में सन्त पापा ने आगे कहाः ........"इस दिन, जब हम पवित्र परिवार का पर्व मना रहे हैं, हमारे विचार इस बात के प्रति अभिमुख होते हैं कि पवित्र परिवार को भी हेरोद की बर्बर हिंसा के कारण ही मिस्र देश भागना पडा था। इस दिन हम उन सबकी याद करें जो युद्ध, हिंसा और असहिष्णुता के कारण अपने घरों का परित्याग करने के लिये बाध्य हुए हैं। आप सबको मैं आमंत्रित करता हूँ कि आप मेरे साथ मिलकर ईश्वर से याचना करें ताकि प्रभु मनुष्यों के हृदयों का स्पर्श करें तथा आशा, पुनर्मिलन एवं शांति को साकार करें।"










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