2010-12-21 12:55:56

वाटिकन सिटीः विश्व का भविष्य सत्य एवं भलाई की पुनर्खोज पर निर्भर कहना बेनेडिक्ट 16 वें का


वाटिकन में कार्यरत रोमी कार्यालय के कार्डिनलों एवं अन्य धर्माधिकारियों ने सोमवार को क्रिसमस महापर्व के उपलक्ष्य में सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें का साक्षात्कार कर उनके प्रति हार्दिक शुभकामनाएँ अर्पित कीं। इस अवसर पर धर्माधिकारियों को दिये अपने सन्देश में सन्त पापा ने कहा कि विश्व का भविष्य सत्य एवं भलाई की पुनर्खोज पर निर्भर है।

हाल के वर्षों में पुरोहितों द्वारा बच्चों के विरुद्ध दुराचारों से सम्बन्धित ख़बरों के मद्देनज़र सन्त पापा ने कहा कि दुराचारों का औचित्य ठहराने की कोशिश और सामान्यतः मनुष्य को उपभोग की वस्तु समझने वाली विचारधारा यही दर्शाती है कि नये सिरे से सत्य की खोज अनिवार्य है।

सन्त पापा ने कहा, "पुरोहितों द्वारा हुए पापों की गम्भीरता से हम सब भली भाँति परिचित हैं और साथ ही इन्हें रोकने हेतु अपनी ज़िम्मेदारी से भी। तथापि, वर्तमान समय में प्रचलित बाल अश्लीलता सम्बन्धी साहित्य, फिल्म, और इनसे भरे मार्केट को भी हम अनदेखा नहीं कर सकते।" उन्होंने कहा, "सर्वाधिक दुःख तो इस बात का है कि इन चीज़ों को समाज सामान्य बात मानने लगा है।" उनहोंने कहा, "बच्चों का मनौवैज्ञानिक विनाश, जिसमें मानव व्यक्ति मार्केट की वस्तु मात्र बनकर रह जाता है, वास्तव में इस युग का एक भयावह चिन्ह है।"

सन्त पापा ने बताया कि विकासशील देशों के धर्माध्यक्षों से उन्होंने कई बार यौन पर्यटन के बारे में सुना है जो सम्पूर्ण पीढ़ियों की स्वतंत्रता को ख़तरे में डालता तथा मानव प्रतिष्ठा का हनन करता है। इन बुराईयों को दूर करने के लिये सन्त पापा ने सत्य एवं भलाई की पुनर्खोज का सभी से आह्वान किया।

उन्होंने कहा कि सत्य की पुनर्खोज हेतु उनका आह्वान मध्यपूर्व में हिंसा रोकने के लिये भी है जहाँ ख्रीस्तीय धर्मानुयायिययों को अधिकाधिक उत्पीड़ित किया जा रहा है। सन्त पापा ने कहा कि दुराचार, हिंसा तथा हर प्रकार की बुराई तर्कणा के अभाव का परिणाम है। उन्होंने कहा कि दुर्भाग्यवश, मानव उसी को देखता, समझता और सच मान लेता है जिसे वह अपने हाथों से छू सकता है जबकि अन्तरमन की गहराई में बसे मूल्यों को अनदेखा कर देता है।

इस स्थिति में सन्त पापा ने कहा कि कलीसिया के धर्माधिकारियों की ज़िम्मेदारी है कि वे लोगों को ईश्वर एवं मानव विषयक सत्यों से अवगत करायें तथा उन्हें अपने अन्तःकरण में झाँकने का विवेक प्रदान करें। सन्त पापा ने कहा कि यदि लोग ऐहिक चीज़ों पर ही अपना ध्यान केन्द्रित कर नैतिक मूल्यों की अवहेलना कर देंगे तो समाज की न्यायिक एवं राजनैतिक संरचनाएँ भी सही ढंग से काम नहीं कर पायेंगी तथा विश्व का भविष्य ही ख़तरे में पड़ जायेगा।








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