‘शांति के दुश्मन हैं- कट्टरवाद और आक्रमक धर्मनिरपेक्षवादी, ईसाई नहीं’
वाटिकन सिटी, 20 दिसंबर, 2010 (ज़ेनित) ‘’शांति के दुश्मन है कट्टरवाद और आक्रमक धर्मनिरपेक्षवादी
ईसाई नहीं।" उक्त बातें वाटिकन प्रवक्ता जेस्विट फादर फेदेरिको लोमबार्दी ने उस समय
कहीं जब उन्होंने वाटिकन टेलेविज़न के साप्ताहिक कार्यक्रम ‘ऑक्तावा दियेस’ में संत पापा
के 44वें विश्व शांति दिवस के संदेश पर टिप्पणी की जिसे वृहस्पतिवार को प्रकाशित किया
गया है। विदित हो कि विश्व शांति दिवस 1 जनवरी को मनाया जाता है और उसी दिन काथलिक
कलीसिया ईश्वर की माता का समारोही महोत्सव मनाती है। अगले साल शांति दिवस की विषयवस्तु
है " धार्मिक स्वतंत्रता शांति का मार्ग " फादर लोमबार्दी ने कहा कि ईसाई ही ऐसा समुदाय
है जो सबसे अधिक प्रताड़नायें झेल रहा है। फादर लोमबारदी ने संत पापा की बातों पर
बल देते हुए कहा कि लोगों में यह ग़लत धारणा बैठ गयी है कि ईसाई महत्वपूर्ण पदों पर आसीन
है और दूसरे धर्मावलंबियों के साथ भेदभाव करते हैं। हाल में प्रकाशित विश्वस्त सूत्र
बताते हैं कि इस प्रकार की धारणा को सुधारे जाने की आवश्यकता है। फादर लोमबारदी ने
यह भी कहा संत पापा का संदेश अन्य सालों की तरह ही यह है कि प्रत्येक व्यक्ति की मर्यादा
और उसके मौलिक अधिकारों का सम्मान हो। उन्होंने इस बात को भी स्पष्ट किया कि यह संदेश
सिर्फ़ ईसाई समुदाय की ओर से नहीं है वरन् प्रत्येक व्यक्ति की ओर से है। ईसाइयों
की ओर से भी है जो यह दावा करते हैं कि वे ईश्वर की खोज करते हैं, उसे पहचानते है और
उसका आदर करते व्यक्तिगत और सामुहिक दोनों रूपों में करते हैं। धार्मिक स्वतंत्रता
के अधिकार के बिना एक शांतिपूर्ण समुदाय का निर्माण कदापि संभव नहीं हो सकता है। धर्मांधता,
कट्टरवाद और आक्रमक धर्मनिर्पेक्षतावाद सच्ची शांति के दुश्मन हैं।