2010-12-20 09:29:17

वाटिकन सिटीः देवदूत प्रार्थना से पूर्व दिया गया सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें का सन्देश


श्रोताओ, रविवार 19 दिसम्बर को सन्त पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में तीर्थयात्रियों के साथ देवदूत प्रार्थना के पाठ से पूर्व सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने भक्त समुदाय को इस प्रकार सम्बोधित कियाः

“अति प्रिय भाइयो एवं बहनो,

आगमन के इस चौथे रविवार के लिये निर्धारित सन्त मत्ती रचित सुसमाचार सन्त योसफ के दृष्टिकोण से हमें बताते हैं कि येसु का जन्म कैसे हुआ। वे मरियम के मंगेत्तर थे जो, जैसा कि सन्त मत्ती रचित सुसमाचार के पहले अध्याय के 18 वें पद में हम पढ़ते हैं, "उनके एक साथ रहने से पहले ही पवित्र आत्मा से गर्भवती हो गयी थीं।" नबी इसायाह की प्राचीन भविष्यवाणी को साकार करते हुए, ईश पुत्र एक कुँवारी के गर्भ में मानव बने, और यह रहस्य एक ही साथ, पाप के घाव से द्रवित मानवजाति के प्रति, ईश्वर के प्रेम, उनकी प्रज्ञा एवं उनके सामर्थ्य की प्रकाशना करता है। उक्त सुसमाचार के 19 वें पद के अनुसार, सन्त योसफ का परिचय एक धर्मी पुरुष के रूप में दिया गया है जो, ईश विधान के प्रति निष्ठावान तथा ईश्वर की इच्छा के प्रति समर्पित थे। इसी कारण स्वप्न में एक देवदूत के दर्शन करने के बाद उन्होंने देहधारण के रहस्य में प्रवेश किया, देवदूत उनसे कहता हैः "''योसफ! दाऊद की संतान! अपनी पत्नी मरियम को अपने यहाँ लाने में नहीं डरे, क्योंकि उनके जो गर्भ है, वह पवित्र आत्मा से है। वे पुत्र प्रसव करेंगी और आप उसका नाम येसु रखेंगें, क्योंकि वे अपने लोगों को उनके पापों से मुक्त करेगा।'' गुप्त रूप मरियम का परित्याग करने का ख़्याल छोड़कर अब योसफ मरियम को अपने साथ ले लेते हैं क्योंकि अब उनकी आँखें मरियम में ईश्वर के कार्यों को देखती है।"

सन्त पापा ने आगे कहा, ..........."सन्त एम्ब्रोज़ कहते हैं कि "सन्त योसफ सौम्य स्वभाव के थे और साथ ही वे एक न्यायी एवं धर्मीं पुरुष थे इसीलिये उनका साक्ष्य योग्य कहलाया। वे कहते हैं, "योसफ सदगुणों से परिपूर्ण थे इसलिये वे पवित्रआत्मा के मन्दिर को, प्रभु की माता को, रहस्य के फलदायी गर्भ को दूषित नहीं कर सकते थे।" यद्यपि वे चिन्तित थे योसफ ने, इस बात के प्रति निश्चित रहकर कि वही सही था, वैसा ही किया जैसा कि प्रभु के दूत ने उन्हें आदेश दिया था।" सम्पूर्ण ब्रहमाण्ड पर शासन करनेवाले शिशु को "येसु" नाम भी उन्होंने प्रभु के दूत के आदेश का पालन करते हुए ही दिया था और ऐसा करने के कारण ही, प्राचीन पूर्वी गीतों के शब्दों में: देवदूतों एवं नबियों के समान, शहीदों एवं प्रेरितों के समान, प्रभु के विश्वसनीय एवं विनीत सेवकों में उनकी गिनती हुई। ईश्वर के आनुतोषिक कार्य अर्थात् मरियम के कौमार्य के साक्षी बनकर तथा मसीह के सांसारिक जीवन की देखरेख कर सन्त योसफ प्रभु के चमत्कारों की उदघोषणा करते हैं। अस्तु हम, कलीसियाई विधान की धारा 532 के अनुसार, येसु के वैधानिक पिता की भक्ति करते हैं, क्योंकि उन्हीं से नवमानव की रूपरेखा रची गई, ऐसे पुरुष जो विश्वास एवं साहस से परिपूर्ण होकर भविष्य की ओर दृष्टि रखते हैं, जो अपनी योजना की परवाह नहीं करते अपितु स्वतः को पूर्णरूपेण उनके सिपुर्द कर देते हैं जो भविष्यवाणियों को पूरा करते तथा मुक्ति के युग की प्रकाशना करते हैं।"

उन्होंने आगे कहाः .........."मेरे प्रिय मित्रो, मैं सभी पुरोहितों को, सार्वभौमिक कलीसिया के संरक्षक, सन्त योसफ के सिपुर्द करना चाहता हूँ तथा उनसे निवेदन करता हूँ कि वे ख्रीस्तीय विश्वासियों एवं सम्पूर्ण विश्व के समक्ष, ख्रीस्त के शब्दों में निहित विनीत एवं दैनिक प्रस्तावनाओं को अर्पित करें। मेरी मंगल याचना है कि हमारे जीवन अधिकाधिक येसु के व्यक्तित्व में पुष्ट हों इसलिये कि, "वह व्यक्ति जो स्वयं शब्द है उसने शरीर धारण किया, वह मानव रूप में ईश्वर से हमारे बीच आया तथा समग्र मानव को अपनी ओर खींचता तथा उसे ईश वचन के अन्तर में ले जाता है। विश्वासपूर्वक हम, "ईश्वर द्वारा अलंकृत", कृपापूर्ण मरियम को पुकारें ताकि निकटवर्ती क्रिसमस महापर्व पर हमारी आँखें खुलें और येसु के दर्शन पाकर हमारे हृदय प्रेम के इस अद्भुत साक्षात्कार से उल्लसित हो जायें।"

इतना कहकर सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने सन्त पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में उपस्थित तीर्थयात्रियों के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सब पर प्रभु की शांति का आव्हान कर सबको अपना प्रेरितिक आर्शीवाद प्रदान किया ----------------------------
देवदूत प्रार्थना के उपरान्त सन्त पापा ने अँग्रेज़ी भाषा भाषियों को सम्बोधित कर कहाः ............. "देवदूत प्रार्थना में उपस्थित सभी अँग्रेज़ी भाषा भाषियों का मैं अभिवादन करता हूँ। प्रभु के आने की आनन्दमय प्रतीक्षा से चिह्नित आगमन के इस चौथे रविवार को हम हर्षित हैं। आज के सुसमाचार पाठ में हमने योसफ से की गई उस प्रतिज्ञा को सुना जिसमें कहा गया था कि उनकी धर्मपत्नी मरियम एक पुत्र को प्रसव करेगी जो अपने लोगों को पापों से मुक्त करेगा। शिशु का नाम होगा "इम्मानुएल" जिसका अर्थ है कि अब से ईश्वर सचमुच हमारे साथ होंगे, वे हमारे साथ रहते तथा हमारे सुख दुःख में, हमारी आशा आशंकाओं में भागीदार बनते हैं। कुछ ही दिनों में मनाये जानेवाले क्रिसमस महापर्व को दृष्टिगत रख मैं आप पर, आपके परिवारों पर तथा आपके सभी स्नेही मित्रों पर ईश्वर की विपुल आशीष की कामना करता हूँ।"








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