2010-12-17 12:52:46

वाटिकन सिटीः चरमपंथ एवं सापेक्षवाद धार्मिक स्वतंत्रता के शत्रु


सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने विश्व शांति दिवस सन् 2011 के लिये प्रकाशित अपने सन्देश में कहा है कि धार्मिक चरमपंथ एवं सापेक्षवाद शांति के शत्रु हैं।

"धार्मिक स्वतंत्रता, शांति का मार्ग" शीर्षक से 44 वें विश्व शांति दिवस हेतु सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें के सन्देश की प्रकाशना गुरुवार को वाटिकन प्रेस द्वारा की गई। कलीसिया द्वारा घोषित विश्व शांति दिवस प्रतिवर्ष पहली जनवरी को ईश माता मरियम के महापर्व के दिन मनाया जाता है।

सन् 2011 के शांति संदेश में सन्त पापा ने ईराक, पवित्रभूमि तथा विश्व के अनेक क्षेत्रों में उत्पीड़न का शिकार बनाये जा रहे ख्रीस्तीय धर्मानुयायियों के प्रति एकात्मता का प्रदर्शन किया है तथापि, इस बात पर भी बल दिया है कि उत्पीड़न केवल इस्लामिक आतंकवाद, चरमपंथ और ऱूढ़िवाद से नहीं आता है अपितु धर्म के प्रति उदासीन पश्चिमी समाज से भी जो धार्मिक आयामों की अवहेलना कर मानव जीवन एवं सहअस्तित्व के एक महत्वपूर्ण तत्व को मिटा डालने का प्रयास करता है।

सन्त पापा ने कहा, "वर्तमान युग में ख्रीस्तीय धर्मानुयायी वे लोग हैं जो अपने विश्वास के कारण सबसे अधिक प्रताड़ित हैं।" हाल में ईराक के ख्रीस्तीय धर्मानुयायियों पर हुए हमलों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा, "स्थायित्व एवं पुनर्मिलन के लक्ष्य की ओर बढ़ते ईराक में हिंसा एवं झगड़े जारी हैं। इस स्थिति को स्वीकार नहीं किया जा सकता क्योंकि यह ईश्वर एवं मानव प्रतिष्ठा का अपमान है।" उन्होंने कहा कि इस प्रकार के हमले सुरक्षा और शांति को ख़तरे में डाल कर यथार्थ एवं अखण्ड मानव विकास को अवरुद्ध करते हैं। सभी को धर्म पालन की स्वतंत्रता प्रदान करने का आह्वान कर सन्त पापा ने कहा कि धार्मिक स्वतंत्रता दुरुस्त राजनैतिक एवं न्यायिक संस्कृति का परिचायक है क्योंकि इसके द्वारा मानव प्रतिष्ठा के प्रति सम्मान की अभिव्यक्ति की जाती है।

धार्मिक चरमपंथ के साथ साथ सन्त पापा ने सापेक्षवाद को भी शांति का शत्रु निरूपित किया। उन्होंने कहा कि सापेक्षवाद व्यक्ति एवं समाज को धार्मिक विश्वास से अलग कर देता है जिससे सावधान रहा जाना चाहिये। पश्चिम के देशों में अन्य धर्मों को ठेस न पहुँचाने के बहाने सार्वजनिक स्थलों से धार्मिक चिन्हों को हटाये जाने, समलैंगिकों के बीच सम्बन्धों को स्वीकार करने तथा विवाहेतर दम्पत्तियों को वैधता प्रदान करने हेतु चलाये जा रहे अभियानों की निन्दा करते हुए सन्त पापा ने कहा कि किसी भी समाज के कानून एनं नियम उसके नागरिकों के धार्मिक विश्वास एवं धार्मिक परम्पराओं की अवहेलना नहीं कर सकते।









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