मुम्बईः कर्नाटक में ख्रीस्तीयों पर क्रमबद्ध आक्रमण
इस बीच, कर्नाटक राज्य में भी ख्रीस्तीयों पर अनवरत आक्रमण जारी हैं। रविवार, पाँच दिसम्बर
को हिन्दु चरमपंथी दलों ने प्रॉटेस्टेण्ट ख्रीस्तीय धर्मानुयायियों पर चार विभिन्न हमले
किये।
पहला हमला बैंगलोर स्थित केनगर उपनगर की एक बस्ती में जिप्सी प्रार्थना
भवन पर किया गया। चरमपंथियों ने रविवारीय प्रार्थना में भाग लेनेवाले लगभग 50 श्रद्धालुओं
को डराया धमकाया। इसके अतिरिक्त शिमोगा ज़िले में भी दो और हमले हुए जिनमें हिन्दु अतिवादियों
ने चार ख्रीस्तीय धर्मानुयायियों को उनके गिरजाघर से बाहर निकाल कर उनकी पिटाई की तथा
बाद में उनपर धर्मान्तरण का झूठा आरोप लगाकर उन्हें पुलिस के हवाले कर दिया।
चौथा
हमला बैंगलोर स्थित ज्योतिनगर के पेन्टेकॉस्टल चर्च पर किया गया जहाँ लगभग 40 अतिवादियों
ने गिरजाघर पर पत्थर फेंके तथा ख्रीस्तीय विरोधी नारे लगाये।
कर्नाटक में ख्रीस्तीयों
की सुरक्षा पर चिन्ता व्यक्त करते हुए ग्लोबल काऊन्सल ऑफ इण्डियन क्रिस्टियन्स के अध्यक्ष
साजन के. जॉर्ज ने कहा कि एक ही दिन में चार हमले वास्तव में कर्नाटक के अल्पसंख्यक ख्रीस्तीय
समुदाय की सुरक्षा पर चिन्ता को उत्पन्न करते हैं। उन्होंने कहा, "इससे यह पता चलता है
कि भाजपा शासित कर्नाटक में भय का वातावरण छाया हुआ है तथा ख्रीस्तीयों को अकारण ही सताया
जा रहा है। बजरंग दल के उग्रवादी हमलों को अनजाम दे रहे हैं, ख्रीस्तीयों की पिटाई कर
रहे हैं तथा उन्हें आतंकित कर रहे हैं। हमारे धर्मनिर्पेक्ष प्रजातंत्रवाद के लिये यह
एक गम्भीर चुनौती है। यदि अधिकारियों ने हस्तक्षेप न किया तो स्थिति और ख़राब हो सकती
है।"
श्री जॉर्ज ने कहा, "संघ परिवार द्वारा ख्रीस्तीयों पर लगाये जा रहे धर्मान्तरण
के आरोप निराधार है तथा इनमें अंश मात्र भी सच नहीं है।" उन्होंने कहा, "धार्मिक स्वतंत्रता
सम्बन्धी कर्नाटक के कानून का लक्ष्य बलात धर्मान्तरण को रोकना है किन्तु प्रायः पुलिस
के साथ मिलकर हिन्दु चरमपंथी ख्रीस्तीयों को उत्पीड़ित करने के लिये इस कानून का दुरुपयोग
करते हैं।"
श्री जॉर्ज ने इस बात पर गहन खेद जताया कि इस प्रकार के पक्षपाती कानून
केलव भाजपा शासित राज्यों में ही लागू नहीं हैं अपितु काँग्रेस शासित राज्यों में भी
लागू हैं, उदाहरणार्थ, हिमाचल प्रदेश में धर्मान्तरण विरोधी कानून काँग्रेस सरकार के
समय लागू किया गया था।