आगमल काल मानव की मर्यादा को एक उचित पहचान देने का समय
वाटिकन सिटी, 6 दिसंबर, 2010 (ज़ेनित) " आगमल काल मानव के गर्भधारण से ही मानव की मर्यादा
को एक उचित पहचान देने का समय है।"
उक्त बातें वाटिकन प्रवक्ता जेस्विट प्रवक्ता
फादर फेदेरिको लोमबारदी ने उस समय कहीं जब उन्होंने वाटिकन टेलेविज़न के साप्ताहिक कार्यक्रम
‘ऑक्तावा दियेस’ में 27 नवम्बर को आयोजित प्रार्थना सभा में संत पापा द्वारा अजन्मों
की सुरक्षा के व्यक्त विचार का समर्थन किया।
फादर लोमाबरदी ने कहा कि संत पापा
ने आगमन के पहले रविवार की संध्या लोगों को इस बात के लिये आमंत्रित किया है कि वे भविष्य
में जन्म लेने वाले शिशुओं के लिये प्रार्थना करें।
उन्होंने कहा कि आगमन एक
प्रतीक्षा का समय है जब हम अपना ह्रदयपरिवर्तन कर येसु, ईश्वर के पुत्र के जन्मोत्सव
मनाने की तैयारी करते हैं। जन्मपर्व में ईश्वर ने शरीर धारण किया, गर्भ में रहा और शिशु
बन कर हमारे निकट है।
उन्होंने कहा कि मानव कभी भी मात्र मांस के टुकड़ा नहीं
है। मानव आरंभ से ही ईश्वर की योजना में रहे हैं और बुद्धिमत्ता, स्वतंत्रता, प्रेम और
सत्य के प्रति उदार, सुन्दरता भलाई और असीमितता की ओर सदा अग्रसर हुआ है।
उन्होंने
कहा कि मानव जीवन को माता के गर्भधारण के क्षण से ही उचित सम्मान प्यार और सुरक्षा दी
जानी चाहिये।
नवजात शिशु की मुस्कान संक्रामक है हमें मुस्कुराने का आमंत्रण
देती, जीवन को प्रेम करने और जीवन रूपी इस अनुपम वरदान के लिये धन्यवाद देने को प्रेरित
करती है।
फादर लोमबारदी ने इस बात को भी स्मरण दिलाया कि शिशु अपने जन्म के
बाद कई बार भूख, बीमारी, हिंसा और विभिन्न प्रकार के शोषणों के शिकार हो जाते हैं। संत
पापा चाहते हैं कि मानव जीवन का आदर हो उसे प्यार मिले और उसकी सुरक्षा की जाये।