2010-12-03 19:46:17

प्रेममय एकता की नींव विश्वास और सत्य – पैट्रियार्क बारथोलोमी प्रथम


इस्तांबुल, तुक्री 3 दिसंबर, 2010 (ज़ेनित) कोन्सतनतिनोपल के पैट्रियार्क बारथोलोमी प्रथम ने कहा कि कलीसियाई एकता मह्त्त्वपूर्ण है पर उन्होंने इंगित किया कि एकता की नींव सत्य होनी चाहिये। उन्होंने कहा कि " प्रेममय एकता तबतक पूर्ण नहीं है जब तक एकता की नींव विश्वास और सत्य न हो "।

पैट्रियार्क बार्थोलोमी ने उक्त बातें उस समय कहीं जब उन्होंने मंगलवार 30 नवम्बर को संत अंद्रेयस के पर्व के अवसर पर इस्ताबूल में मिस्सा पूजा बलिदान चढ़ाया। इस अवसर पर अंतरकलीसियाई एकता के लिये बनी परमधर्मीठीय समिति के अध्यक्ष व संत पापा के प्रतिनिधि कार्डिनल कुर्त्त कोच भी उपस्थित थे।

पैट्रियार्क ने संत पौल की बातों को उद्धृत करते हुए कहा कि हम महान् प्रेरित संत पौल की सलाह को मानते हुए " प्रेम में वफ़ादार रहकर " सर्वसहमति से ईशशास्त्रीय और अंतरकलीसियाई वार्तालाप करना जारी रखें जबतक की हम एक विश्वासपूर्ण एकता प्राप्त नहीं कर लेते हैं।

इस अवसर पर पैट्रियार्क बारथोलोमी ने वियेना में सम्पन्न अंतरकलीसियाई सभा की चर्चा करते हुए कहा कि इस महासभा ने इस बात पर विचार किया कि पहली शताब्दी में रोम के धर्माध्यक्ष संत पापा की अन्तरकलीसियाई एकता में क्या भूमिका थी।

इस बात पर अपने विचार करते हुए उन्होंने कहा कि इस सभा में " सदस्यों ने कई समस्यायों का सामना किया पर उन्होंने इस बात की ओर अपनी उत्सुकता दिखलायी कि वे सप्रेम सिद्धांतों और कलीसियाई जीवन के विरासत के प्रति अपनी वफ़ादारी दिखायें और समस्याओं का समाधान करें।
इस अवसर पर पैट्रियार्क ने संत पापा जोन तेईसवें का स्मरण किया और उनके एकता संबंधी प्रयासों की सराहना की। विदित हो कि संत पापा जोन तेईसवें द्वारा सन् 1960 स्थापित परमधर्मपीठीय समिति की यह वर्ष 50वाँ वर्ष है।

महाधर्माध्यक्ष बारथोलोमी ने वाटिकन की द्वितीय महासभा के निर्णयों को "दुस्साहसी ऐतिहासिक निर्णय" कहा जिसने कलीसियाई एकता का मार्ग प्रशस्त किया।

उन्होंने उन लोगों को चेतावनी दी जो बिना ख्रीस्तीय एकता के ईसा मसीह का प्रचार करते हैं। उनका कहना है कि जो लोग ऐसा करते हैं वे दुनिया को बात का विश्वास नहीं दिला सकते हैं कि "उन्होंने ईसा को पाया है जो मसीह हैं। "









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