2010-11-29 19:30:53

मानव जीवन की हर हाल में सुरक्षा ज़रूरी –संत पापा


वाटिकन सिटी, 29 नवम्बर, 2010 (ज़ेनित) संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें ने कहा है गर्भधारण के बाद मानव जीवन की हर हाल में सुरक्षा की जानी चाहिये।

संत पापा ने उक्त बातें उस समय कीं जब उन्होंने 27 नवम्बर, शनिवार को आगमनकाल आरंभ होने की पूर्व संध्या पर संत पेत्रुस महागिरजाघर में एक प्रार्थना सभा की अगवाई की।

इस प्रार्थना सभा में कई लोगों ने भाग लिये और इसी प्रार्थना सभा के समय ही विश्व के कई अन्य पल्लियों, समुदायों और संगठन के लोगों ने भी अपनी प्रार्थनायें चढ़ायीं।

संत पापा ने कहा कि अनुभव और विवेक साक्ष्य देते हैं कि मनुष्य एक ऐसा प्राणी है जो इस बात को समझने और करने में सक्ष्म, जागरुक, स्वतंत्र और स्थिर है कि मानव जीवन सभी लौकिक वास्तविकताओं का केन्द्र बिन्दु है । इसलिये वे इस बात की माँग करते हैं कि सभी मानव मूल्यों और गुणों को सस्नेह और सम्मानपूर्वक मान्यता दे।

संत पापा ने कहा कि " मानव यह देखे कि उसके साथ ऐसा व्यवहार न हो मानों वह कोई एक वस्तु हो जिसे अपने अधीन किया जा सकता हो, जिसे अपनी इच्छा के अनुसार तोड़ा-मरोड़ा जा सकता है या उसे इस हद तक नगण्य न बना दे कि वह चीज़ मात्र बनकर जाये। "

मानव अपने आप में एक उत्कृष्ट कृति है और इसलिये इस बात का ध्यान दिया जाना चाहिये कि उसका पूर्ण विकास हो। संत पापा ने कहा कि यदि हमारा प्रेम सच्चा होगा तो यह कमजोरों और ज़रूरतमंदों का विशेष ध्यान देगा।

वैज्ञानिक अध्ययन से हमें जानकारी मिली है कि भ्रूण माता के गर्भ से ही स्वच्छंद होता, माता के साथ मानवीय क्रियाकलाप करने में सक्षम होता, जैविक प्रक्रिया में सहयोग करता और विकास की जटिल प्रक्रिया में साथ देता है।"

यह भी सत्य है कि मानव जैविक तत्त्वों का कुलयोग मात्र नहीं है पर यह एक नया प्राणी है, जो व्यवस्थित है और मानव प्रजाति का नया जीव है।

जिस प्रकार येसु माता मरिया के गर्भ में रहे हममें से प्रत्येक जन भी अपनी माँ के गर्भ में रहा। संत पापा ने कहा कि प्रत्येक मानव की मर्यादा ‘अतुलनीय’ है जिसको बनाये रखने की ज़िम्मेदारी हम पर है।

संत पापा ने इस बात के लिये खेद व्यक्त किया कि कई बच्चे आज भी परित्यक्त हैं भूखे और बीमार हैं और कई कई तो विभिन्न प्रकार की हिंसा और शोषण के शिकार है।

उन्होंने कहा कि राजनीतिज्ञों अर्थशास्रियों और मीडियाकर्मियों को चाहिये कि वे एक ऐसी संस्कृति का प्रचार करें जिससे मानव जीवन को उचित सम्मान मिल सके।

उन्होंने प्रार्थनासभा क अंत में ईश्वर से प्रार्थना की कि वे पवित्र आत्मा भेज दें ताकि उनकी शक्ति से विश्व के राष्ट्र उचित निर्णय लें ताकि मानव के उचित विकास और कल्याण के लिये कार्य किया जा सके।















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