दार्जीलिंग, 27 नवम्बर, 2010 (उकान) पूर्वी भारत के दार्जीलिंग धर्मप्रांत के धर्माध्यक्ष
स्तेफन लेप्चा ने कहा है कि धर्मप्रांत में हुए प्रथम चमत्कार ने लोगों के विश्वास को
मजबूत किया है। घटना के बारे बताते हुए उन्होंने कहा कि 20 नवम्बर को पश्चिमी बंगाल
के सोनाडा में अवस्थित दिमबेरगेर निकेतन में जब एक पुरोहित और दो दम्पति क्लारिशियन धर्मसमाज
की नोविसों को आध्यात्मिक साधना दे रहे थे तब गिरजाघर में रखे क्रूस से खून बहने लगा।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार जब एक मुस्लिम महिला उपदेशक जिसने हाल ही में ईसाई धर्म
स्वीकार किया है नोविसों को प्रवचन दे रही थी तो अचानक एक क्रूस से खून बहने लगा और कुछ
देर के बाद अन्य क्रूसों माता मरियाकी मूर्ति और रोजरी मालाओं से भी खून बहने लगा। धर्माध्यक्ष
लेप्चा ने घटनास्थल का दौरा किया और उस चमत्कारी क्रूस और मरियम की मूर्ति को देखा धर्माध्यक्ष
ने उस महिला से भी मुलाक़ात की जिसका नाम मेरी है। मेरी पहले मुस्लिम थी और 7 अगस्त 2010
को उसने ख्रीस्तीय धर्म स्वीकार किया है। केरल की उस मुस्लिम महिला ने धर्माध्यक्ष
को बताया कि माता मरिया ने धर्माध्यक्ष पुरोहित आम विश्वासियों के लिये अलग-अलग संदेश
दिये हैं। मेरी ने बताया कि कुँवारी मरियम चाहतीं हैं कि लोग प्रार्थना करें और उनके
धर्मप्रांत में वे कई ‘महान् कार्य’ देखेंगे। पुरोहितों को माता मरिया का संदेश था
कि वे भक्तिपूर्वक मिस्सा पूजा चढ़ायें और आम विश्वासी लगातार प्रार्थना करते जायें।
धर्माध्यक्ष लेप्चा ने बताया कि 22 नवम्बर को महिला के हाथ खून बहने लगा था और वह
दर्द से कराह रही थी और जब उन्होंने खून को पोंछा तो देखा हाथ में कहीं भी कोई घाव के
निशान नहीं थे। और मेरी ने कहा कि उसके धर्माध्यक्ष के पोंछने से उसके सारे पाप क्षमा
हो गये। इस चमत्कारिक घटना की खबर पूरे क्षेत्र में दावानल की तरह फैल गयी। पल्ली
पुरोहित सलेशियन फादर मार्टिन के अनुसार क्रूस से चार दिनोंतक खून बहा और इसे देखने के
लिये करीब 20 हज़ार लोगों ने इसके दर्शन किये । दर्शन करने वालों में हिन्दु, मुस्लिम
और काफी संख्या में बौद्ध धर्मावलंबी भी शामिल थे।