कोन्डोम का प्रयोग को न्यायोचित्त नहीं – वाटिकन प्रवक्ता
वाटिकन सिटी, 22 नवम्बर, 2010 (ज़ेनित) संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें कोन्डोम के प्रयोग
को न्यायोचित्त नहीं ठहरा रहे है, उनका कहना है कि परिस्थितिवश कोन्डोम का प्रयोग नैतिक
वर्ताव की दिशा में पहला कदम हो सकता है उक्त बातें वाटिकन प्रवक्ता जेस्विट फादर
फेदेरिको लोमबारदी ने उस समय कहीं जब उन्होंने इग्नासियुस प्रेस द्वारा एक किताब " लाइट
ऑफ द वर्ल्ड " में छपी कुछ पंक्तियों के बारे में स्पष्टीकरण दिया। विदित हो कि
इस किताब का विमोचन मंगलवार 23 नवम्बर को किये जाने संभावना है। फादर लोमबारदी ने कहा
कि शनिवार 20 नवम्बर को ‘लोसेरभातोरे रोमानो’ ने किताब के वाक्यांश छापे जिसने लोगों
का ध्यान इस ओर खींचा और उन्हें भ्रमित किया। वाटिकन प्रवक्ता ने कहा संत पापा ने
कोन्डोम के संबंध में चर्च के विचारों को किसी भी तरह से नहीं बदला है बल्कि इसकी पुष्टि
की है। उनका कहना है कि कलीसिया एड्स की समस्या के लिये कोन्डोम को उचित और नैतिक समाधान
नहीं मानता। कुछ विशेष परिस्थितियों में जब यौन-क्रियाकलाप दूसरे व्यक्ति के जीवन
के लिये घातक हो संत पापा ने कोन्डोम के व्यवहार के बारे सोचे जाने की संभावना व्यक्त
की है। उन्होंने कहा कि संत पापा का कहना है कि " कलीसिया इसे कोई सही या नैतिक
समाधान नहीं मानती, विभिन्न परिस्थितियों में संक्रमण के खतरे से बचने के लिये इसे यौन
जीवन को मानवतापूर्ण जीने का पहला कदम माना जा सकता है। " फादर लोमबारदी ने कहा कि
संत पापा का मानना है ऐसी परिस्थिति में यह नहीं कहा जा सकता है कि संत पापा का ऐसा सोचना
एक क्रांतिकारी परिवर्तन है " । वास्तव में संत पापा ने कोन्डोम के बारे में एक अर्सो
से लंबित मुद्दे के बारे में स्पष्टीकरण और चिन्तन देने का महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
उन्होंने कहा कि संत पापा ने एक ओर नैतिक सिद्धांतों के प्रति अपनी वफादारी दिखलायी
है तो दूसरी ओर एक भ्रमित रास्ता कि " आत्मविश्वास कोन्डोम है " का दृढ़ता से विरोध किया
है। फादर लोमबारदी ने फिर इस बात को याद दिलाया कि जब कैमरून के रास्ते में सन् 2009
के मार्च महीने में जर्मन पत्रकार शीवाल्ड ने उनसे इस संबंध में प्रश्न पूछे थे संत पापा
ने स्पष्ट शब्दों में कहा था कि उन्होंने कोन्डोम बाँटना ही एड्स की समस्या का समाधान
नहीं है। इसके लिये ज़रूरी है रोकथाम, शिक्षा मदद और सलाह ताकि व्यक्ति इसके शिकार
न हों और इस बीमारी से ग्रस्त होने पर मददगार हो। विदित हो कि जर्मन पत्रकार पीटर
सीवाल्ड की किताब के दसवें खंड में एड्स की बीमारी के संदर्भ में संत पापा से कोन्डोम
के व्यवहार संबंधी पूछे थे।