राँची, 8 नवम्बर, 2010 ( साभार, दैनिक जागरण) वाटिकन के राजदूत सलवातोर पिनाकियो ने
एशिया के प्रथम आदिवासी कार्डिनल राँची के महाधर्माध्यक्ष तेलेस्फोर पी. टोप्पो के सफलतापूर्वक
आर्चबिशप का 25 वर्षो का कार्यकाल पूरा करने पर बधाई दी है।
संत पापा के राजदूत
पिनाकियो ने संत पापा के नाम पर वाटिकन के राज्य सचिव कार्डिनल तारचिसियो द्वारा प्रेसित
संदेश को पढ़कर सुनाते हुए कहा कि कार्डिनल टोप्पो ने एक आदिवासी धर्मगुरू के रूप में
विश्व समुदाय से अच्छा संबंध स्थापित करते हुए एक विशिष्ट पहचान स्थापित की है ।
उन्होंने
रांची के महाधर्माध्यक्ष के रूप में कार्य करते हुए झारखंड तथा पूरे आदिवासी समुदाय के
मुद्दों को विश्व स्तर तक पहुँचाया है और उनके हित के लिये वकालत की है।
वाटिकन
के राजदूत ने कहा है कि आदिवासियों के मजबूत विश्वास ने उन्हें व्यापक रूप से प्रभावित
किया है और यह संदेश वे संत पापा तक अवश्य पहुँचाएँगे।
रजत जुबिली के अवसर पर
संत पापा के राजदूत ने कार्डिनल टोप्पो को यूखरिस्तीय समारोह में प्रयोग किये जाने वाला
एक पवित्र कटोरा भेंट की ।
स्थानीय समाचार के अनुसार कार्डिनल के आर्च बिशप बनने
के रजत जयंती समारोह में मिस्सा से लेकर सांस्कृतिक कार्यक्रमों के दौरान झारखंड के पारंपरिक
रीति-रिवाजों की स्पष्ट झलक दिखाई पड़ी।
कार्यक्रम की शुरुआत 7 नवम्बर रविवार
को, राँची के बिशप्स हाउस के निकट स्थित लोयला मैदान में समारोही मिस्सा अनुष्ठान के
साथ सात बजे से आरंभ हुई जो लगभग दस बजे तक चली। राज्य के हर कोने से हजारों की संख्या
में लोग कार्यक्रम में शामिल हुए। मिस्सा के उपरांत लगभग साढे़ बारह बजे तक सांस्कृतिक
कार्यक्रम का आनन्द लिया जिसमें आधुनिक नागपुरी नृत्य ‘हाय रे छोटानागपुर हीरा नागपुर’
ने सबक दिल जीत लिया ।
कार्डिनल को बधाई देने और उनका हाथ चूम कर आशीर्वाद ग्रहणका
सिलसिला कार्यक्रम समाप्ति के बाद काफी देर तक चलता रहा और समारोह स्थल में सुरक्षा के
लिए मुस्तैद महिला व पुरुष जवानों ने भी कार्डिनल से मिलने का अवसर नहीं गवाये ।
विदित
हो कि 70 वर्षीय कार्डिनल तेलेस्फोर टोप्पो का पुरोहिताभिषेक 3 मई, 1969 में स्वीटजरलैंड,
7 अक्टूबर, 1978 में दुमका में बिशप बने। 7 अगस्त, 1985 में रांची के आर्च बिशप बने
और सन् 2003 में संत पापा जोन पौल द्वितीय ने उन्हें कार्डिनल बनाया।