2010-11-06 17:16:48

स्वागत समारोह में संत पापा का भाषण


उपस्थित देवियो एवं सज्जनों, राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और स्थानीय विशिष्ट अधिकारीगण धर्माध्यक्षो और मेरे प्रिय भाइयो एवं बहनों संत पीटर के उत्तराधिकारी के रुप में पूरे देश की ओर से मुझे राजकीय सम्मान देने क लिये मैं आपका धन्यवाद करता हूँ।

मैं आरंभ ही में उन सभी लोगों के प्रति विशेष करके मीडियाकर्मी और स्थानीय कलीसिया के नेताओं और सरकारी अधिकारियों के प्रति मेरा आभार व्यक्त करना चाहता हूँ जिन्होंने मेरी इस स्पेन यात्रा को सफल बनाने के लिये उदारतापूर्वक अपना योगदान दिया है।

गहराई से विचार करें तो मानव का जीवन एक यात्रा है जो सदा ही सत्य की खोज करता रहता है। मानव में सत्य को खोजने की जो तीव्र इच्छा है उसका काथलिक कलीसिया भी खुलकर समर्थन करती है और चाहती है कि कलीसिया मनुष्य की इस तीव्र इच्छा में उसकी सहायता करे ताकि वह पूर्णता को प्राप्त कर सके।

दूसरों को मदद देने के साथ-ही-साथ कलीसिया चाहती है कि वह खुद भी विश्वास, आशा और प्रेम की अपनी आध्यात्मिक यात्रा करे ताकि वह येसु के प्रेम का साक्ष्य दे सके। सच पूछा जाये तो यही है कलीसिया का रास्ता और मिशनः लोगों को येसु की उपस्थिति का आभास दिलाना। " उन्हीं येसु मसीह को जिन्हें ईश्वर ने हमें प्रज्ञा धार्मिकता पवित्रता और मुक्ति के रूप में दिया है " (1 कुरिंथियन, 1, 30) और इसीलिये मैं भी यहाँ आया हूँ ताकि आप सबों का विश्वास मजबूत हो सकें।

स्पेन के काम्पोस्तेला के महागिरजाघर के जुबिली वर्ष के अवसर पर मैं भी यहाँ एक तीर्थयात्री के रूप में आया हूँ।

मेरे दिल में भी वही ईश प्रेम लेकर आया हूँ जिसे लेकर प्रेरित संत पौल अपनी यात्राओं में लिया करते करते थे। आज मैं चाहता हूँ कि मैं भी उनमें से एक बनूँ जिन्होंने पूरे यूरोप या हम कहें पूरी दुनिया से भक्त कमपोस्तेल्ला के महागिरजाघर के दर्शन के लिये आते रहे हैं औऱ संत जेम्स के चरणों में घुटने टेककर आध्यात्मिक लाभ प्राप्त अपना विश्वास मजबूत करते रहे हैं।

तीर्थयात्रियों और भक्तों ने अपने विश्वास और आशा से एक संस्कृति, प्रार्थना प्रेम और पश्चात्ताप की ऐसी परंपरा का निर्माण किया है जिसकी स्पष्ट झलक हम स्पेन के चर्चों अस्तपतालों पुलों मठों और विश्रामगृहों में पाते हैं।

तीर्थयात्रियों की ऐसी परंपरा के कारण ही स्पेन और पूरे यूरोप ने ही आध्यात्मिकता की एक ऐसी मुखाकृति का विकास कर पाया जिसमें सुसमाचार की अमिट छाप दिखाई पड़ती है।

सुसमाचार के संदेशवाहक और साक्ष्य के रूप में ही मैं भी बार्सेलोना आया हूँ ताकि मैं यहाँ के सक्रिय व सह्रदय लोगों के विश्वास को पोषित कर सकूँ। स्पेनवासियों में विश्वास का बीज ख्रीस्तीय धर्म के आरंभिक दिनों में ही बोया गया और यहाँ यह इस तरह से आगे बढ़ा कि यहाँ की धरती ने काथलिक कलीसिया के लिये अनगिनत संतों और भक्तों को प्रदान किये।

इतना ही नहीं स्पेन की कलीसिया ने कई शिक्षा र संस्कृति से जुड़े कई संस्थाओं को भी प्रदान किये हैं जिनसे समग्र विश्व लाभान्वित हुआ है।

यहाँ मैं अन्तोनी गौदी की याद करता हूँ जिसके ख्रीस्तीय विश्वास ने उन्हें प्रेरित किया और यहाँ के लोगों के सहयोग से जिस महागिरजाघर का निर्माण हुआ उसे सारा विश्व ‘सागारदा फमिलिया’ के नाम से जानती है। यह एक ऐसा महागिरजाघर है जिससे मानव का ईश्वर के प्रति आस्था और कार्यकुशलता की झलक मिलती है।

मुझे प्रसन्नता है कि मैं स्पेन की धरती में दूसरी बार अपना कदम रखा हूँ। यह वही पवित्र भूमि है जिसे संत इग्नसियुस लोयोला येसु की संत तेरेसा, क्रूस के संत जोन, फ्रांसिस जेवियर जैसे संतों संस्थापकों और कवियों को जन्म दिया। बीसवीं सदी में में स्पेन ने अनेक संस्थाओं संगठनों और ख्रीस्तीय समुदायों को को भी प्रदान किये जिनके द्वारा शांति एकता स्वतंत्रता एवं सद्भावना के लिये कार्य किये जा रहे हैं।

आज भी स्पेन मानवीय और आध्यात्मिक मूल्यों की रक्षा करते और विभिन्न चुनौतियों का सामना करते हुए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लोगों में आशा और ज़िम्मेदारी का जीवन जीने में योगदान दे।

संत पापा जोन पौल द्वितीय के समान जिन्होंने कोमपोस्तेल्ला ही में लोगों को इस बात का संदेश दिया था कि वे ख्रीस्तीयता की जड़ों को मजबूत करें मैं भी चाहता हूँ कि स्पेन और यूरोपवासी एक सच्चे मानव के रूप में स्वतंत्रता और सत्य का सम्मान करते हुए अपने वर्त्तमान जीवन को जीयें और इसी के आधार पर अपना भविष्य को सजायें।

इसके साथ सबके साथ न्यायपूर्ण जीवन जीयें विशेष करके जो गरीब और कमजोर हैं। यह स्पेन एक ऐसा राष्ट्र बने जो न केवल धन-दौलत से संपन्न हो वरन् नैतिक, सामाजिक, आध्यात्मिक और धार्मिक बातों में सुदृढ़ हो क्योंकि ऐसा होने से ही मानव का विकास पूर्ण, प्रभावपूर्ण और फलदायी हो पायेगा।










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