2010-11-04 16:10:13

ओपुस आंजेलोरुम एसोसियेशन पर सीडीएफ का वक्तव्य


विश्वास और धर्मसिद्धान्त संबंधी परमधर्मपीठीय समिति (सीडीएफ) के अध्यक्ष कार्डिनल विलियम लेवादा और सचिव महाधर्माध्यक्ष लुईस एफ लदारिया के हस्ताक्षर से जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि परमधर्मपीठीय समिति ने ओपुस आंजेलोरुम नामक एसोसियेशन के सिद्धान्तों और गतिविधियों पर लगभग 30 वर्षों तक जाँच की है। परमधर्मपीठीय समिति हाल के वर्षों में इस एसोसियेशन में हुई प्रगति के बारे में धर्माध्यक्षीय सम्मेलनों के धर्माध्यक्षों को सूचित करना चाहती है।

संमिति ने जाँच के उपरान्त दो निष्कर्षों को 24 अक्तूबर 1982 तथा 6 जून 1992 को प्रकाशित किया था। इन दोनों दस्तावेजों का सार था कि पवित्र देवदूतों के प्रति भक्ति का प्रसार करते समय ओपुस आंजेलोरूम एसोसियेशन के सदस्य कलीसिया की शिक्षा तथा कलीसियाई धर्माचार्यों के सिद्धान्तों का अनुपालन करेंगे। सन 1992 के आदेश में फादर बेनोत दयूरोक्स ओ पी को प्रतिनिधि नियुक्त किया गया था जिन्होंने अपना अनुसंधान काम सफलतापूर्वक पूरा किया।
विज्ञप्ति में कहा गया है कि एसोसियेशन के सदस्यों की आज्ञाकारिता के कारण यह माना जा सकता है कि ओपुस आंजेलोरूम एसोसियेशन कलीसिया के सिद्धान्तों और कलीसियाई तथा पूजनधर्मविधि विधानों के तहत निष्ठापूर्वक सौम्य भावना से कार्य़ कर रहा है। यह विश्वासियों के मध्य पवित्र स्वर्गदूतों के प्रति भक्ति का प्रसार करने, पुरोहितों के लिए प्रार्थना करने तथा दुःखभोग सह रहे ख्रीस्त के प्रति प्रेम और उनके साथ एक होने का प्रसार करता है। इसलिए धर्मप्रान्तों में इस अभियान के प्रचार प्रसार में कोई धर्मसैद्धान्तिक या अनुशासनात्मक बाधा नहीं है तथापि कुछ सदस्यों ने इस अभियान का त्याग किया या ओडर औफ कैनन्स रेगुलर औफ द होली क्रास के द्वारा निष्कासित किये गये जिन्होंने परमधर्मपीठीय समिति द्वारा दिये गये निर्देशों का पालन नहीं किया है। वे स्वयं को सच्चे ओपुस आंजेलोरूम सदस्य कहते हैं। इसलिए परमधर्मपीठीय समिति चाहती है कि वैसे लोगों के प्रति धर्माध्यक्ष सतर्क रहें जो कलीसियाई सामुदायिकता के लिए बाधा और विनाशकारी हैं।








All the contents on this site are copyrighted ©.