2010-11-01 13:13:24

दूसरों के लिये उपहार बनना ही सच्चा प्रेम - संत पापा


वाटिकन सिटी, 1 नवम्बर, 2010 (ज़ेनित) संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें ने युवाओं से कहा है कि वे इस बात को जानें कि प्रेम का सही अर्थ या रहस्य है दूसरों के लिये एक उपहार बनना।
संत पापा ने उक्त बातें उस समय कहीं जब उन्होंने 30 अक्तूबर को पूरे इटली के विभिन्न धर्मप्रांतों से आये करीब एक लाख युवाओं को संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण संबोधित किया। ज़ेनित समाचार ने बताया कि इटली के सभी धर्मप्रांतों के 4 से 18 वर्ष के युवा रोम में जमा हुए थे।
उनके सम्मेलन की विषयवस्तु थी ‘हमारे पास बहुत है, हम एक साथ महान् बनें’। कैथोलिक ऐक्शन की एक युवती के प्रश्न का उत्तर देते हुए संत पापा ने कहा कि वे चाहते हैं कि प्रत्येक युवा इस बात को जाने की सच्चे प्रेम का क्या अर्थ है और इस कला को सीखें ताकि वह सच्चा प्रेम कर सके।
उन्होंने कहा कि जब दर्पण के सामने खड़े होते हैं तो हम हमें लगता है कि हम बड़े हो रहे हैं हम बदल रहे हैं। पर सत्य तो यह है कि हम तब बड़े होते हैं जब हमारे मित्र हमसे कहते हैं कि हम ‘बड़े’ हो गये हैं।
उन्होंने कहा" आप सही मायने में तब बड़े होते हैं जब आप दूसरों के लिये एक वरदान बनते हैं। जब आप अपने लिये नहीं वरन दूसरों के लिये अपने आपको देना सीखते हैं। सच्चा प्रेम का यहीं मूलमंत्र है।"
संत पापा ने कहा कि जब वे जवान थे वे भी अधिक से अधिक पाना चाहते थे। वे चाहते थे कि वे शुद्ध हवा ग्रहण करें, कि यह जग ठीक उसी तरह सुन्दर और भला बने जैसा कि हमारे स्वर्गीय पिता और येसु मसीह चाहते थे।
यह दुनिया तब ही अच्छी और सुन्दर हो सकती है जब लोग इस बात को समझें कि ईश्वर की क्या इच्छा है। संत पापा ने युवाओं से कहा कि वे अपने प्रेम को सिर्फ़ उपभोग करने वाली वस्तु के रूप में न बनने दें।
ऐसा प्रेम दूसरे का सम्मान नहीं करता, ऐसा प्रेम शुद्ध और पवित्र नहीं होता। उन्होंने कहा कि मीडिया या इंटरनेट जिस प्रेम को लोगों को देती है वह प्रेम नहीं, स्वार्थ है।
यह लोगों को भ्रमित करती लोगों को प्रसन्न नहीं होने देती और आगे बढ़ने नहीं देती। इसके ठीक विपरीत यह आपको कुंठित करती और आपके ह्रदय की पवित्र इच्छाओं को कुचलती है।
संत पापा ने कहा कि सच्चा प्रेम बलिदान चाहता है। बिना बलिदान के प्रेम अपनी मंजिल तक नहीं पहुँच सकती है।
अगर आप अपने मित्रों का साथ देते कष्ट झेल रहे मित्रों की मदद करते, और आपका ह्रदय सदा येसु के लिये खुला है और उसकी वाणी सुनता है तो आप जानिये कि आप सच्चे प्रेम में बढ़ रहे हैं और प्रेम की परीक्षा में सफल हो रहे हैं।










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