2010-10-29 16:54:25

कलीसियाई समूहों ने जातिवाद को पाप और अपराध कहा


भारत में कलीसियाई समूहों ने कहा है कि वे जाति आधारित भेदभाव के प्रति जीरो टोलेरेन्स नीति अपनायेंगे। नई दिल्ली में नेशनल कौंसिल औफ चर्चज इन इंडिया एनसीसीआई ने 22 से 24 अक्तूबर तक दलितों के लिए न्याय विषय पर कलीसीयाई एकतावर्द्धक कांफ्रेंस का आयोजन किया था। कांफ्रेस में कलीसियाई अधिकारियों, ईशशास्त्रियों और दलित कार्य़कर्त्ताओं ने भाग लिया। सम्मेलन में कहा गया कि जातिवाद पाप और अपराध है।
एन सीसीआई के वक्तव्य में कहा गया कि जाति आधारित भेदभाव को कलीसियाएँ कदापि सहन नहीं करेंगी क्योंकि यह सुसमाचार की भावना के विपरीत है। इसके साथ ही कांफ्रेंस ने सन 2011 के चालीसाकाल को विशेष समय के रूप में निर्धारित किया ताकि ईशशास्त्रीय और पूजनधर्मविधि सम्मत सामग्री तैयार कर कलीसिया के अंदर विद्यमान किसी भी प्रकार के जातिवाद को दूर कर सकें। यह पहली बार है जब विभिन्न कलीसियाओं ने चर्च और समाज के अंदर जाति प्रथा पर आधारित भेदभाव या व्यवहारों को समाप्त करने की बात कही है। भारत में ईसाईयत यद्यपि जाति आधारित किसी भी प्रकार के भेदभाव को मान्यता नहीं देती है लेकिन देश के कुछेक भागों में उच्च जाति और निम्न जाति के ईसाईयों के लिए अलग अलग चर्च और कब्रिस्तान का अस्तित्व है।
तमिलनाडु क्रिश्चियन कौंसिल के अध्यक्ष चर्च औफ साऊथ इंडिया मद्रास के धर्माध्यक्ष वी देवासहायम ने कहा कि आंतरिक जातिगत विभाजन के कारण भारतीय कलीसिया की स्थिति बहुत शोचनीय है। उन्होंने कहा कि ईसाईयत और जातिवाद एक साथ नहीं चल सकते हैं।
एनसीसीआई के अध्यक्ष धर्माध्यक्ष तारानाथ एस सागर ने कहा कि पूरी निष्ठा और ईमानदारी से दलितों की मुक्ति के लिए कलीसियाएँ काम करने में विफल रहीं तो भावी पीढ़ी इसके लिए हमें जिम्मेदार ठहरायेगी।








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