2010-10-26 12:57:09

वाटिकन सिटीः आप्रवासियों एवं शरणार्थियों को समर्पित विश्व दिवस के लिये सन्त पापा के सन्देश की प्रकाशना


वाटिकन ने, मंगलवार को, आप्रवासियों एवं शरणार्थियों को समर्पित विश्व दिवस के लिये सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें के सन्देश की प्रकाशना कर दी। कलीसिया द्वारा घोषित आप्रवासी एवं शरणार्थी विश्व दिवस आगामी वर्ष रविवार 16 जनवरी को मनाया जायेगा। इस वर्ष के सन्देश का शीर्षक होगाः "एक ही मानव परिवार"।

मंगलवार को प्रेस के समक्ष, आप्रवासियों एवं शरणार्थियों को समर्पित विश्व दिवस के लिये सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें के सन्देश की प्रकाशना करते हुए आप्रवासियों एवं शरणार्थियों की प्रेरिताई हेतु गठित परमधर्मपीठीय समिति के अध्यक्ष महाधर्माध्यक्ष अन्तोनियो मरिया वेलियो ने कहा कि ईश्वर ने सब राष्ट्रों के सब मनुष्यों की रचना की हैं इसलिये हम सब एक मानव परिवार के अंग हैं। उन्होंने कहा कि सन्त पापा ने उक्त सन्देश को इसी संकल्पना पर केन्द्रित रखा है कि हम सब ईश्वर द्वारा सृजित किये जाने के कारण उनकी सन्तान तथा आपस में भाई बहन हैं। अस्तु, उन्होंने कहा कि मानवजाति एक परिवार है तथा हर व्यक्ति इस परिवार का अभिन्न हिस्सा है।

वर्तमान आप्रवास एवं शरणार्थी स्थिति पर ध्यान आकर्षित कराते हुए महाधर्माध्यक्ष वेलियो ने कहा कि आर्थिक कारणों से या युद्धों से पलायन के लिये एक देश से दूसरे देश में जानेवाले लोग स्थानीय लोगों के लिये अतिरिक्त बोझ बन जाते हैं किन्तु यह नहीं भुलाया जाना चाहिये कि इससे मेज़बान देश की संस्कृति समृद्ध होती तथा विचारों का आदान प्रदान लोगों को उदार बनाता है।

आप्रवासियों के मेज़बान देशों में स्वागत एवं एकीकरण को महाधर्माध्यक्ष ने अनिवार्य बताया और कहा कि कठिनाईयों में पड़े लोगों की मदद करना ख्रीस्तीय उदारता का काम है किन्तु आप्रवासियों एवं शरणार्थियों को भी मेज़बान देश के हर कानून और नियम का पालन करना चाहिये। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि शरण प्रदान करनेवाले लोगों की संस्कृति और उनका सम्मान भी उनके द्वारा अनिवार्य है।

महाधर्माध्यक्ष ने कहा कि यदि प्रत्येक व्यक्ति अन्य का सम्मान करेगा और उसे मानव परिवार का अंग स्वीकार करेगा तो धरती के संसाधनों में भी सबकी भागीदारी होगी तथा सबके विकास का मार्ग प्रशस्त होगा। महाधर्माध्यक्ष वेलियो ने कहा कि इन्हीं विचारों को सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने अपने सन्देश में अभिव्यक्ति प्रदान की है जिन पर ध्यान देकर विश्व को सबके लिये न्याय, सुरक्षा एवं शांति से परिपूर्ण स्थल बनाया जा सकता है।







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