2010-10-25 16:00:44

देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ करने से पूर्व संत पापा द्वारा दिया गया संदेश


श्रोताओ रविवार 24 अक्तूबर को संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने मध्य पूर्व के धर्माध्यक्षों की धर्मसभा के समापन पर संत पेत्रुस महागिरजाघर में आयोजित समारोही ख्रीस्तयाग की अध्यक्षता की। इसके बाद उन्होंने संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में देश विदेश से आये तीर्तयात्रियों और पर्यटकों को देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ करने से पूर्व दिये गये सम्बोधन में कहा –

अतिप्रिय भाईयो और बहनो,

इस सुबह संत पेत्रुस महागिरजाघर में आयोजित समारोही ख्रीस्तयाग समारोह के साथ ही मध्य पूर्व के धर्माध्यक्षों की विशेष धर्मसभा का समापन हो गया। इस बैठक का शीर्षक था- मध्य पूर्व में काथलिक कलीसिया- सामुदायिकता और साक्ष्य। यह रविवार विश्व मिशन रविवार भी है इस वर्ष जिसका शीर्षक है- कलीसियाई सामुदायिकता की रचना करना ही मिशन कु कुँजी है। हमें ये दोनों कलीसिया जो सामुदायिकता का रहस्य है पर गौर करने के लिए आमंत्रित करती हैं, अपनी प्रकृति से, सम्पूर्ण व्यक्ति और सब लोगों के लिए है। प्रभु सेवक पौल षष्टम ने लिखा- कलीसिया का अस्तित्व सुसमाचार प्रचार के लिए है, कहने का अर्थ है- उपदेश दे और शिक्षा दे, कृपाओं के उपहार का चैनल बने, पापियों का ईश्वर के साथ मेलमिलाप कराये, पवित्र ख्रीस्तयाग में येसु के बलिदान को स्थायी बनाती है जो उनकी मृत्यु और महिमामय पुनरूत्थान की स्मृति है।

इसी कारण से धर्माध्यक्षों की आगामी धर्मसभा सन 2012 में होगी जिसका शीर्ष वाक्य होगा- ख्रीस्तीय विश्वास के प्रसार हेतु नवीन सुसमाचार उदघोषणा। हर युग और हर जगह में यहाँ तक कि आज मध्य पूर्व में कलीसिया विद्यमान है।वह सब लोगों के लिए एक साथ काम करती है और उन्हें ख्रीस्त को अर्पित करती है जो जीवन की परिपूर्णता हैं।

जैसा कि इताली जर्मन ईशशास्त्री रोमानो गुवारदिनी ने लिखा- चर्च की वास्तविकता में शामिल है ख्रीस्तीय होने की पूर्णता, जो इतिहास के द्वारा उतनी ही विकसित होती है जैसा कि कलीसिया मानवीय वास्तविकता की पूर्णता का आलिंगन करती है जो ईश्वर के साथ संबंधित है।

प्रिय मित्रो, आज की पूजन धर्मविधि में हम संत पौलुस के साक्ष्य के बारे में पढ़ते हैं जो कि अंतिम पुरस्कार के बारे में है जिसे ईश्वर देंगे उन सब लोगों को जिन्होंने प्रेम के साथ उनके प्रकट होने के दिन की प्रतीक्षा की है। यह निष्क्रिय या एकांत प्रतीक्षा नहीं है इसके विपरीत प्रेरितों ने पुर्नजीवित ख्रीस्त के साथ सामुदायिकता में जीया, सुसमाचार की उदघोषणा को पूर्णता तक लाया ताकि सब राष्ट्र इसे सुनें। मिशनरी काम इस दुनिया में क्रांति लाना नहीं है लेकिन इसका रूपान्तरण करना है येसु ख्रीस्त से शक्ति लेते हुए जो हमें अपने वचन और यूखरिस्त की मेज पर बुलाते हैं, उनकी उपस्थिति के उपहार का रसास्वादन करने, हमें अपने विद्यालय में प्रशिक्षित करने और प्रभु और ईश्वर के साथ अधिकाधिक रूप से संयुक्त होकर जीवन जीने के लिए बुलाते हैं।

यहाँ तक कि आज के ईसाई जैसा कि लेटर टू दियोगनेतुस में लिखा है – दिखाता है कि एक साथ उनका जीवन कितना आश्चर्यमय और असाधारण है। वे पृथ्वी पर जीवन जीते हैं लेकिन वे स्वर्ग के नागरिक हैं। वे स्थापित नियमों का पालन करते हैं लेकिन अपने जीवन शैली में नियमों से परे जाते हैं। वे मरने के लिए अभिशप्त हैं लेकिन इससे वे जीवन लेते हैं। यद्यपि वे भला करते हैं फिर भी सताये जाते हैं और प्रतिदिन उनकी संख्या बढ़ती जाती है।

कुँवारी माता मरियम को जिन्होंने क्रूसित प्रभु येसु से उन सबलोगों की माता बनने का नया मिशन पाया जो उनमें विश्वास करना और उनका अनुसरण करना चाहते हैं हम मध्य पूर्व क्षेत्र के ईसाई समुदायों तथा सुसमाचार प्रचार में संलग्न सब मिशनरियों को उनकी मध्यस्थता के सिपुर्द करते हैं।

इतना कहने के बाद संत पापा ने देश विदेश से आये तीर्थयात्रियों के साथ देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ किया और सबको अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।








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