परमधर्मपीठ ने संयुक्त राष्ट्र संघ एवं सभी देशों से आग्रह किया है कि वे शांति की संस्कृति
को प्रोत्साहित करने का प्रयास करें।
संयुक्त राष्ट्र संघ में वाटिकन के प्रतिनिधि
तथा परमधर्मपीठ के स्थायी पर्यवेक्षक महाधर्माध्यक्ष फ्राँसिस चुल्लीकट्ट ने सोमवार को
न्यू यॉर्क में संयुक्त राष्ट्र संघीय महासभा में उक्त अपील जारी की।
संयुक्त
राष्ट्र संघ स्थित परमधर्मपीठीय मिशन ने एक प्रेस विज्ञप्ति प्रकाशित कर बताया कि महाधर्माध्यक्ष
महोदय ने विश्व के सभी राष्ट्रों से आग्रह किया है कि वे "फलप्रद एवं निष्कपट सम्बन्ध
पर ध्यान केन्द्रित करें जिसमें क्षमा एवं पुनर्मिलन को जगह मिले, साथ ही अन्यों के साथ
अपनी गतिविधियों में पारदर्शी रहकर अपने वचनों के प्रति निष्ठावान रहें।"
शांति
के लिये महाधर्माध्यक्ष चुल्लीकट्ट ने धर्मों को महत्वपूर्ण बताया और कहा, "शांति को
प्रोत्साहन देने का कार्य धर्मों के मिशन में अन्तर्निहित है जिसके द्वारा वे मानव प्रकृति
के आध्यात्मिक एवं पारलौकिक आयाम की सेवा करते हैं।
महाधर्माध्यक्ष ने इस बात
की पुष्टि की कि धर्म मानव जीवन के प्रति तथा मानवाधिकारों एवं मूलभूत स्वतंत्रताओं के
प्रति सम्मान को प्रोत्साहित करते हैं।
शांति स्थापना की अपील करते हुए उन्होंने
कहा, "शांति केवल युद्धों की अनुपस्थिति ही नहीं है बल्कि शांति का अर्थ है न्याय द्वारा
प्रशासित समाज में नागरिकों के बीच मैत्रीपूर्ण सहअस्तित्व।"