उड़ीसाः दंगा प्रभावित कंधामाल के सैकड़ों लोग अभी भी अपने घर नहीं लौट पायें है
उड़ीसा में ईसाई विरोधी हिंसा के दो साल बाद भी दंगा प्रभावित गाँवों के सैकड़ों लोग
अपने घरों को लौट नहीं पाये हैं।
उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की अध्यक्षता
में, 18 अक्तूबर को, एक उच्च स्तरीय बैठक में दंगा पीड़ितों के लिए राहत उपायों की समीक्षा
की गई जिसके बाद कंधमाल ज़िला कलेक्टर कृष्ण कुमार ने कहा कि 200 परिवार अभी भी अपने
घरों को नहीं लौट पायें हैं।
इस शिकायत के बाद कि लोग अभी चरमपंथियों के भय में
जीवन यापन कर रहे हैं, पिछले महीने राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष एच.टी. संगलियाना
ने जिले का दौरा किया था। दौरे के बाद उन्होंने बताया था कि कई पीड़ित अभी भी अस्थायी
आवासों में रहते हैं क्योंकि पैसों के अभाव में उनके लिये नये मकानों की व्यवस्था नहीं
की गई थी। उन्होंने केन्द्र और राज्य सरकारों से लोगों की क्षतिपूर्ति एवं उनके पुनर्वास
के लिये उपयुक्त उपायों का भी आग्रह किया था।
कटक भुवनेश्वर के महाधर्माध्यक्ष
राफायल चीन्नत ने, हाल में, सन् 2008 के ख्रीस्तीय विरोधी हिंसा मामलों पर, मुआवज़ों
के मूल्यांकन एवं उनके भुगतान के लिये एक स्वतंत्र समिति के गठन की मांग कर मुख्यमंत्री
पटनायक के समक्ष एक ज्ञापन प्रस्तुत किया था।
एक सार्वजनिक अधिकरण द्वारा निकाले
गये निष्कर्ष के अनुसार कंधमाल में हुई ईसाई विरोधी हिंसा निचली जाति के लोगों को अपने
वश में करने हेतु हिंदू कट्टरपंथियों द्वारा रचा गया एक षड़यंत्र था।
लगभग छः
माहों तक चली हिन्दू उग्रवादी हिंसा में 93 लोग मारे गए थे और 50,000 से अधिक बेघर हो
गये थे। लगभग 6500 मकान, 350 गिरजाघर तथा 45 स्वास्थ्य और शिक्षा संस्थानों को नष्ट कर
दिया गया, जला दिया गया या लूट लिया गया था।