2010-10-15 17:05:00

विश्व खाद्य दिवस के लिए संत पापा का संदेश


विश्व खाद्य दिवस 16 अक्तूबर को मनाया जाता है। रोम स्थित संयुक्त राष्ट्र संघीय संस्था विश्व खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) में वाटिकन के पर्यवेक्षक रेनातो वोलान्ते ने संत पापा के संदेश को 15 अक्टूबर को प्रस्तुत किया। विश्व खाद्य और कृषि संगठन के अध्यक्ष डा़ जैक दियू को सम्बोधित संदेश में संत पापा ने कहा है कि यह दिवस विश्व के करोड़ों भाई बहनों की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एफएओ द्वारा किये गये प्रयासों का अवलोकन करने का अवसर देता है। उन्होंने कहा कि कठिनाईयों का सामना करना होता है जब सहदयता की भावना के लिए जरूरी मनोवृत्ति की कमी होती है। बहुधा लोगोंी की जरूरतों की ओर ध्यान नहीं दिया जाता है तथा खेतों में किये जानेवाले काम पर समुचित जोर नहीं दिया जाता तथा पृथ्वी की उपज को समुचित सुरक्षा नहीं दी जाती है। इसके परिणामस्वरूप आर्थिक असंतुलन होता है तथा हर व्यक्ति की मर्यादा और अहस्तांतरणीय अधिकारों की उपेक्षा की जाती है।

संत पापा ने कहा है कि इस वर्ष के विश्व खाद्य दिवस का शीर्षक यूनाइटेड अगेंस्ट हंगर हमें स्मरण कराता है कि कृषि क्षेत्र को उचित महत्व देने के लिए हरएक व्यक्ति निजी और संगठनात्मक स्तर पर भी अपना समर्पण व्यक्त करे। भूख से मुक्ति के लक्ष्य. को पाने के लिए प्रत्येक जन निजी स्तर से लेकर सामुदायिक स्तर पर, समाज, सरकार तथा अंतरराष्ट्रीय संस्थायें प्राथमिकता दें। खाद्य सामग्री के व्यापक स्तर पर उत्पादन और वितरण के लिए संसाधन और संरचनाएं बनाई जायें ताकि भोजन पाने के अधिकार को सुनिश्चित किया जा सके। इस लक्ष्य को पाने के लिए किये जानेवाले प्रयासों से विश्व के सम्पूर्ण मानव परिवार की एकता को बनाने के लिए सहायता मिलेगी।
संत पापा ने इस प्रयास में उदारता और सत्य से उत्प्रेरित ठोस पहलों को जरूरी बताया ताकि मौसम चक्र से जुडी प्राकृतिक बाधाओं और मानव निर्मित बाधाओं पर विजय पायी जा सके। उन्होंने कहा है कि भूख के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय समुदाय वास्तव में एक हो तब यथार्थ मानव विकास इस विचार पर आधारित हो कि मानव प्राणी शरीर, आत्मा और परमात्मा की ईकाई है।
उन्होंने कहा है कि विकास के दर्शन में व्यक्ति की भौतिक जरूरतों को पूरा करने तक ही सीमित करने की प्रवृत्ति दिखाई देती है लेकिन मानव के समग्र विकास के लिए उच्चतर मूल्यों भ्रातृत्व, सह्दयता और जनकल्याण की भावना को स्वीकार किया जाना है। भूमंडलीकरण के दौर में विकास का नमूना पेश करने में बुद्दिमानी होगी जो भ्रातृत्व भावना पर आधारित है तथा जो सह्दयता और जनकल्याण से उत्प्रेरित हो वर्तमान विश्व संकट को दूर करने के लिए उपाय सुझा सकता है।

संत पापा ने कहा कि जलवायु और पर्यावरण परिवर्तन के बावजूद कृषि क्षेत्र को पर्याप्त धन उपलब्ध कराया जाये। उन्होंने निर्धनता और भूखमरी की समस्या को दूर करने के लिए एफएओ संगठन द्वारा किये जा रहे कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि इस उद्यम में कलीसिया अपना योगदान देती रही है और रहेगी ताकि जनसमुदायों के मध्य शांति और एकता के प्रसार में वह अंतरराष्ट्रीय समुदाय की मदद कर सके।








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