झूठे देवताओं के खतरों के बारे में संत पापा का चिंतन
(वाटिकन सिटी सीएनएस) संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने मध्य पूर्व के धर्माध्यक्षों की
धर्मसभा में प्रतिभागियों को सम्बोधित करते हुए पूर्व निर्धारित वक्तव्य से परे तत्क्षण
सम्बोधन में आधुनिक विश्व के सामने विद्यमान झूठे देवताओं के खतरों पर चिंतन प्रस्तुत
किया। उन्होंने वाटिकन स्थित धर्मसभा सभागार में 11 अक्तूबर को आरम्भिक प्रार्थना के
बाद धर्माध्यक्षों द्वारा गाये गये स्तोत्र भजन के अर्थ पर लगभग 20 मिनटों तक अपना चिंतन
प्रस्तुत किया। उन्होनें कहा कि आधुनिक विश्व के सामने अनेक विनाशकारी शक्तियां हैं जिनका
आधार झूठी दिव्यता पर है और इनके मुखौटे को दूर करना है। इसमें शामिल है आतंकवाद की विचारधारा
जो ईश्वर के नाम में आतंकी कृत्यों को करने के लिए प्रोत्साहित करती है। ड्रगस- मादक
पदार्थों का उपयोग जो इंसान को जानवर के समान निगल जाता है। विवाह के बारे में विश्वव्यापी
दृष्टिकोण जो शुद्धता के मूल्य को महत्व नहीं देता है। अज्ञात आर्थिक हित या अज्ञात पूँजीवाद
जो मानव की सेवा करने के बदले में मानव को ही गुलाम बना देता है तथा व्यापक रूप से जनसंहार
होता है।
संत पापा ने कहा कि इस प्रकार की शक्तियों के खिलाफ युद्ध कलीसिया और
विश्वास के लिए सतत संघर्ष का अंग है। बाइबिल का प्रकाशना ग्रंथ झूठे देवताओं के खिलाफ
संघर्ष पर प्रकाश डालता है विशेष रूप से साँप की छवि जो एक नदी बनाता है और इससे बचने
के लिए भाग रही महिला को डुबा देना चाहता है तथा पृथ्वी उस नदी को सोख लेती है। संत पापा
ने चिंतन प्रस्तुत करते हुए कहा कि उनके विचार से नदी की सरल व्याख्या इन्ही धाराओं के
रूप में की जा सकती है जो प्रत्येक व्यक्ति पर गहन असर डालते हुए कलीसिया और विश्वास
को ही समाप्त करना या अदृश्य बना देना चाहती हैं। लेकिन पृथ्वी इन धाराओं को सोख लेती
है। यह पृथ्वी, साधारण लोगों का विश्वास है जो स्वयं पर इस नदी को हावी होने नहीं देता
है।