देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ करने से पूर्व संत पापा द्वारा दिया गया संदेश
श्रोताओ रविवार 10 अक्तूबर को संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने मध्य पूर्व के धर्माध्यक्षों
की धर्मसभा के आरम्भ में संत पेत्रुस महामंदिर में आयोजित समारोही ख्रीस्तयाग की अध्यक्षता
की। उन्होंने समारोही ख्रीस्तयाग के बाद संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में उपस्थित
देश विदेश से आये तीर्थयात्रियों और विश्वासियों को देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ करने
से पूर्व सम्बोधित करते हुए कहा-
अतिप्रिय भाईयो और बहनो,
मैं संत पेत्रुस
महागिरजाघर से आ रहा हूँ जहाँ मैंने मध्य पूर्व के धर्माध्यक्षों की विशेष धर्मसभा के
उदघाटन के लिए समारोही ख्रीस्तयाग की अधयक्षता की। यह अतिविशेष धर्माध्यक्षीय बैठक जो
दो सप्ताह तक चलेगी इसमें मध्य पूर्व की कलीसियाओं के मेषपालों की बैठक एक विविधतापूर्ण
वास्तविकता है। उस भूमि में वस्तुतः ख्रीस्त की एक कलीसिया स्वयं को अति समृद्ध रूप से
अपनी प्राचीन परम्पराओं में अभिव्यक्त करती है। हम इस शीर्षक पर चिंतन करेंगे- मध्य पूर्व
में काथलिक कलीसिया, सामुदायिकता और साक्ष्य। वस्तुतः उन देशों में, दुर्भाग्य से गहन
विभाजन और सदियों पुराने संघर्षों के घाव रहे हैं, कलीसिया का आह्वान किया जाता है कि
वह येरूसालेम के पहले विश्वासी समुदाय के आदर्श के अनुरूप एकता और मेलमिलाप का संकेत
और साधन बने जिसमें, विश्वासियों का समुदाय एकह्दय और एकप्राण था। यह एक कठिन काम है
क्योंकि मध्य पूर्व के ईसाई बहुधा स्वयं को व्यक्तिगत, पारिवारिक और सामुदायिक स्तर पर
जीवन की कठिन परिस्थितियों का सामना करता हुआ पाते हैं। लेकिन यह हतोत्साहित करनेवाला
नहीं होना चाहिए- कहा जाये तो इसी संदर्भ में येसु का अनन्त संदेश अत्यावश्यक और आकस्मिक
बन जाता है- मन परिवर्तन करो और सुसमाचार में विश्वास करो।
हाल में सम्पन्न मेरी
साइप्रस यात्रा के समय मैंने इस धर्माध्यक्षीय धर्मसभा की तैयारी के लिए कार्यकारी दस्तावेज
सौंपा था अब यह सभा आरम्भ हो चुकी है मैं हर एक जन को ईश्वर से प्रार्थना करने के लिए
आमंत्रित करता हूँ ताकि बहुतायत में पवित्र आत्मा के वरदान मिलें।
अक्तूबर का
महीना, रोजरी माला का महीना कहा जाता है। यह आध्यात्मिक स्वरशैली है जो रोजरी की हमारी
माता की स्मृति के लिए पूजनधर्मविधि द्वारा दी गयी है जिसका समारोही पर्व 7 अक्तूबर को
मनाया जाता है। इस प्रकार हमें आमंत्रित किया जाता है कि हम मरियम के द्वारा स्वयं को
इस प्राचीन और चिर नवीन प्रार्थना के माध्यम से मार्ग निर्देशित होने दें जो विशेष रूप
से उन्हें प्रिय है क्योंकि यह मुक्ति रहस्यों, आनन्द, प्रकाश, दुःख और महिमा के भेदों
पर मनन चिंतन करते हुए सीधे येसु की ओर ले चलती है। प्रभु सेवक संत पापा जोन पौल द्वितीय
के पदचिहनों पर चलते हुए मैं यह स्मरण करना चाहता हूँ कि रोजरी माला प्रार्थना बिबलिकल
प्रार्थना है, पवित्र धर्मग्रंथ के साथ पूरी तरह से गुँथी हुई। यह दिल की प्रार्थना है
जिसमें प्रणाम मरिया प्रार्थना को दुहराने के द्वारा यह एक व्यक्ति के सोच विचार और स्नेह
भाव को येसु ख्रीस्त की ओर उन्मुख करता है और इस प्रकार एक व्यक्ति पूरे विश्वास से अपनी
और हमारी माँ पर भरोसा करता है। यह वह प्रार्थना है जो ईश-वचन पर मनन चिंतन करने के लिए
सहायता करता है और मरिया के आदर्श पर यूखरिस्तीय समुदाय में पसंद किया जाता है, मरिया
जो अपने दिल में वह सब धारण करती है जिसे येसु ने किया और कहा तथा उनकी अपनी उपस्थिति।
प्रिय मित्रो, हम जानते हैं कि पवित्र कुँवारी माता मरियम को मध्य पूर्व के हमारे
भाई-बहन कितना चाहते और उनकी भक्ति करते हैं। सब लोग उनकी ओर देखरेख करनेवाली माता के
रूप में देखते हैं, हर पीड़ा में उनके समीप रहते हैं जो आशा का सितारा हैं। हम इस धर्मसभा
को जिसका शुभारम्भ आज हो रहा है माता मरिया की मध्यस्थता के सिपुर्द करते हैं ताकि मध्य-पूर्व
क्षेत्र के ईसाई अपनी सामुदायिकता में सुदृढ़ बनें और सबलोग प्रेम एवं शांति के सुसमाचार
के साक्षी बनें।
इतना कहने के बाद संत पापा ने देवदूत संदेश प्रार्थना
का पाठ किया और सबको अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।