2010-10-09 14:54:45

बुजूर्गों की अवहेलना अनुचित - महाधर्माध्यक्ष


मेलबोर्न, 9 अक्तुबर, 2010 (ज़ेनित) इच्छामृत्यु या यूथानेशिया का समर्थन करना ‘सहानुभूति का अनुचित’ अर्थ बताना है।
इच्छामृत्यु इस बात की ओर इंगित करती है कि लोग रोगियों और वृद्धों की देखभाल किये जाने की ज़िम्मेदारी से कतराते नज़र आने लगे हैं।
उक्त बातें मेलबोर्न के महाधर्माध्यक्ष डेनिस हार्ट ने वृहस्पतिवार को एक लिखित और वीडियो वक्तव्य जारी करते हुए उस समय कही जब उन्होंने ऑस्ट्रेलिया सरकार पर यूथानेशिया को कानूनी रूप से लागू करने के मुद्दे पर टिप्पणी की।
विदित हो कि विक्टोरिया में ‘फेडेरेशन ऑफ राइट टू डाई सोसायटी’ ने 18वें विश्व यूथानेशिया सेमिनार का आयोजन किया है जिसमें यूथानेशिया को कानूनी मान्यता दिये जाने पर विचार-विमर्श किये जायेंगे।
महाधर्माध्यक्ष डेनिस का मानना है कि यदि यूथानेशिया पर विचार-विमर्श करने के लिये अधिक समय दिये जाने से इच्छामृत्यु की सच्चाइयों से लोग अवगत हो पायेंगे।
महाधर्माध्यक्ष ने बताया कि ऑस्ट्रेलिया के उत्तरी क्षेत्रों में सन् 1996 यूथानेशिया पर पार्लियामेंट में कई बार विधेयक लाये गये पर उन्हें पास नहीं कराया जा सका। ऐसा इसलिये हुआ क्योंकि जब इस पर विचार-विमर्श हुए तो उन्होंने यूथानशिया की वीभत्सता को समझा।
उन्होंने बताया कि इच्छामृत्यु को कानूनी अधिकार प्राप्त हो जाने से मानव का जीवन असुरक्षित हो जायेगा।
महाधर्माध्यक्ष ने कहा कि इच्छामृत्यु के बदले राष्ट्र को चाहिये कि वे बुजूर्गों या वयोवृद्धों को और अधिक आराम और सम्मान देने के उपायों पर विचार करे।
उन्होंने कहा कि आज समाज में लोगों की देखभाल की क्षमतायें बढ़ गयीं हैं जो समाज की बहुत बड़ी शक्ति है इसलिये समाज को चाहिये कि बीमारों और वृद्धों की अधिक सेवा करने का समर्थन करे।
















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