स्टॉकहोमः रूसी मूल के दो वैज्ञानिकों को इस वर्ष का नोबेल
ग्रेफ़ीन पर किए शोध के लिए रूसी मूल के दो वैज्ञानिकों को भौतिक-विज्ञान के क्षेत्र
में प्रतिष्ठित नोबेल पुरस्कार देने की घोषणा की गई है।
स्वीडन की स्टॉकहोम स्थित
नोबेल पुरस्कार समिति ने मंगलवार को घोषित किया कि कार्बन अणुओं से बनी ग्रेफ़ीन पर शोध
के लिये 51 वर्षीय आंद्रे गिएम और 36 वर्षीय कॉंस्टेंटीन नोवोसेलॉफ़ को सन् 2010 के नोबेल
पुरस्कार से सम्मानित किया जायेगा। रूसी मूल के ये दोनों वैज्ञानिक इंगलैंड के मैंचैस्टर
विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक हैं।
ग्रेफ़ीन कार्बन अणुओं से बनी एक महीन चादर
है। नोबेल पुरस्कार समिति के अनुसार इस नये शोध से इलैक्ट्रॉनिक्स जगत में नवीन प्रयोग
सम्भव बन पड़ेंगे तथा कम्प्यूटरों की गति को तीव्र किया जा सकेगा।
शोधकर्ताओं
ने पहली बार एक एटम यानि अणु भर मोटाई वाली कार्बन की परतों को ग्रेफ़ाइट की परत से अलग
किया। इस परत को ग्रेफ़ीन कहा जाता है जो लगभग पारदर्शी है तथा बहुत महीन होने के बावजूद
अत्यधिक मज़बूत है।
ग्रेफ़ाइट का प्रयोग आम तौर पर पैंसिलों में किया जाता है।
इसकी एक मिलिमीटर मोटी परत में ग्रेफ़ीन की 30 लाख परतें एक के ऊपर एक चढ़ी रहती हैं।
ग्रेफ़ीन से बहुत मज़बूत, लचीला और टिकाऊ पदार्थ बनाया जा सकता है और टच स्क्रीन या सौर
सैल आदि में भी इसका उपयोग हो सकता है।