2010-10-06 15:53:43

बुधवारीय-आमदर्शन समारोह के अवसर पर
संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें का संदेश
6 अक्तुबर, 2010


रोम, 6 अक्तुबर, 2010 (सेदोक, वीआर) बुधवारीय आमदर्शन समारोह में संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें ने संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में एकत्रित हज़ारों तीर्थयात्रियों को विभिन्न भाषाओं में सम्बोधित किया।

उन्होंने कहा - मेरे अति प्रिय भाइयो एवं बहनों, आज की धर्मशिक्षामाला में हम संत गेटरुड के जीवन पर मनन-चिंतन करें।

संत गेटरूड भी हेलफता की मठवासिनी थीं जहाँ के विद्वानों ने कलीसिया के लिये मह्त्त्वपूर्ण धार्मिक साहित्य का प्रकाशन किया। संत गेडरुड के बारे यह बताना उचित होगा कि जर्मन वंश में सिर्फ़ गेटरुड को ही ‘महान्’ की उपाधि दी गयी है क्योंकि उनका जीवन ईश्वरीय कृपाओं से परिपूर्ण था।

बताया जाता है कि अपने युवाकाल ही में गेटरुड ने अपनी कुशाग्र बौद्धिक क्षमता, तेजस्विता और स्पष्ट निर्णय क्षमता का परिचय दिया था। इसके साथ गेटरुड आरंभ से ही दूसरों के लिये प्रेरणा का श्रोत थीं।

अपनी तीव्र बौद्धिक क्षमता के बावजूद वह सदा ही नम्र बनी रहीं और लोगों से सलाह और प्रार्थना की याचना करती रहीं। अपने अध्ययन काल ही में उन्होंने अपने अंदर एक गहरा आंतरिक परिवर्त्तन महसूस किया।

बाद में उन्होंने दुनियावी बातों को छोड़ कर आध्यात्मिक बातों में रुचि लेना आरंभ किया। अपने मठवासी जीवन में भी उन्होंने बाह्य चिंताओं से दूर, अधिकतर समय प्रार्थना में लीन रहकर बिताया।

बाद में उन्होंने अपने दिव्य अनुभवों को लिखना भी शुरु किया तो लोगों ने पाया कि कि उनकी अभिव्यक्ति सत्य और विश्वास के बारे में बिल्कुल स्पष्ट और सरल थे। उन्होंने ईश्वरीय प्रेम से संबंधित विषयों पर अपने आध्यात्मिक विचार लिखे जिससे कलीसिया को आध्यात्मिक लाभ हुए। अतः यही कहा जा सकता है कि संत गेटरुड का व्यक्तिगत आध्यात्मिक जीवन ईश्वर के प्रति भक्ति और समर्पण से परिपूर्ण था।

आज हम संत गेटरुड की मध्यस्थता से इस बात के लिये प्रार्थना करें कि हम भी येसु और कलीसिया से नम्रतापूर्वक प्रेम करें, उस पर आस्था रखें और ईश्वर से संयुक्त होने को ऐसा अभयस्त हो जायें कि पवित्र यूखरिस्तीय बलिदान और कलीसिया की धर्मविधियों में अर्थपूर्ण तरीके से हिस्सा ले सकें।

इतना कह कर संत पापा ने अपना संदेश समाप्त किया।

उन्होंने आयरलैंड, स्पेन, अर्जेन्टिना, चिली, कोलोम्बिया, ग्वातेमाला, मेक्सिको और निकारागुवा के तीर्थयात्रियों, परमधर्मपीठीय नोर्थ अमेरिकन कॉलेज के डीकनों परमधर्मपीठीय बेदा कॉलेज के विद्यार्थियों, उपस्थित लोगों एवं उनके परिवार के सब सदस्यों पर प्रभु येसु की कृपा और शांति का कामना करते हुए उन्हें अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।


















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