यूरोपीय धर्माध्यक्षीय सम्मेलनों की समिति की बैठक के प्रतिभागियों को संत पापा का संदेश
संत पापा बेनेदिक्ट 16 वें ने यूरोपीय धर्माध्यक्षीय सम्मेलनों की समिति की बैठक के प्रतिभागियों
को वाटिकन राज्य सचिक कार्डिनल तारचिसियो बेरतोने के माध्यम से तार संदेश प्रेषित कर
यूरोप के धर्माध्यक्षों से आग्रह किया है कि वे परिवार और मानव जीवन की रक्षा करें तथा
ईसाईयों के विरूद्ध होनेवाले किसी भी प्रकार के भेदभाव और असहिष्णुता के विरूद्ध संघर्ष
करें। समिति की बैठक डेमोग्राफिक्स एंड द फैमिली शीर्षक के अंतर्गत क्रोएशिया के जागरेब
में 30 सितम्बर से 3 अकटूबर तक सम्पन्न हो रही है। तारसंदेश में संत पापा ने धर्माध्यक्षों
को प्रोत्साहन दिया है कि वे कलीसियाई समुदायों को प्रेरणा प्रदान करना जारी रखें ताकि
विश्वासी जन असहिष्णुता और भेदभाव से मुक्त रहते हुए परिवार और मानव जीवन की मर्यादा
की रक्षा का प्रसार करें। उन्होंने बैठक के प्रतिभागियों को अपनी प्रार्थनाओं का आश्वासन
दिया है ताकि यह बैठक यूरोपीय धर्माध्यक्षों के मध्य एकता और सामुदायिकता के बंधन को
मजबूती प्रदान करें और यूरोप महाद्वीप में नवीन सुसमाचार को नया साहसपूर्ण संवेग प्रदान
करे।
समिति के अध्यक्ष और एस्तेरदोम बुडापेस्ट के महाधर्माध्यक्ष कार्डिनल पीटर
एरदो ने बैठक के उदघाटन संबोधन में यूरोप की स्थिति पर एक विश्लेषण प्रस्तुत किया। उन्होंने
कहा कि यूरोप यह महाद्वीप जिसमें अनेक संस्कृतियों ने सुसमाचार को पाया है तथा जहां से
अनेक मिशनरियों ने विश्व के विभिन्न भागों में जाकर सुसमाचार का प्रचार किया है आज स्वयं
अस्मिता संकट या आइडेंटिटि क्राइसिस का सामना कर रहा है। यूरोप को ईश्वर की जरूरत है
ताकि यह अपनी जड़ का पुन-स्मरण करे और भविष्य की ओर सत्य और आशा के साथ देख सके। उन्होंने
अपने विश्वास का साक्ष्य देनेवाले ईसाईयों के सामने आनेवाली चुनौतियों को देखते हुए कहा
कि यूरोप में ईसाईयों के विरूद्ध होनेवाले भेदभाव और असहिष्णुता पर नजर रखने के लिए एक
पर्यवेक्षण केन्द्र आरम्भ हो रहा है जिसका लक्ष्य यूरोप में ईसाईयों के खिलाफ होनेवाले
भेदभाव और असहिष्णुता के विभिन्न रूपों के बारे में जागरूकता का प्रसार करना है।
उन्होंने
कहा कि यह केन्द्र विवादों का एक साधन नहीं लेकिन ऐसे समाज बनाने के लिए मदद है जो धार्मिक
स्वतंत्रता के लिए और अधिक सम्मान दिखाये तथा अपनी जडों को समझने एवं स्वस्थ धर्मनिरपेक्षता
के द्वारा धार्मिक बहुलता की सच्चाई को स्वीकार करने के लिए और अधिक समर्थ बने।