विकसित देश मदद नहीं करने की ‘बड़ी भूल’ नहीं कर सकते - फादर लोमबार्दी
वाटिकन सिटी, 27 सितंबर, 2010 (ज़ेनित) आर्थिक मंदी के दौर में भी धनी देश इस बात के
सक्षम है कि वे ग़रीबों की मदद करना जारी रख सकें।
उक्त बातें वाटिकन प्रवक्ता
जेस्विट फ़ादर फेदेरिको लोमबार्दी ने उस समय कहीं जब उन्होंने वाटिकन टेलेविज़न के साप्ताहिक
कार्यक्रम ‘ऑक्तावा दियेस’ में आर्थिक मंदी पर अपने विचार रखे।
फादर लोमबार्दी
ने संत पापा के ग्रेट ब्रिटेन की यात्रा के दौरान वेस्टमिन्सटर हॉल में इंगलैंड के संसद
सदस्यों को संबोधित भाषण की याद कराते हुए कहा यदि सरकार इस बात के लिये सक्षम थे कि
वे देश की बड़ी आर्थिक संस्थाओं की रक्षा के लिये सामने आयें तो वे ग़रीबों की सुरक्षा
और विकास के लिये सामने क्यों नहीं आ सकते है ? "
संसद में संत पापा ने इस बात
की चर्चा की थी कि कई विकसित देशों की सरकारों ने देश की महत्त्वपूर्ण आर्थिक संस्थाओं
या कम्पनियों की बचाने के लिये अपने कदम बढ़ाये थे।
संत पापा की इन्हीं बातों
पर चिन्तन करते हुए फादर लोम्बार्दी ने कहा विकसित देश निर्धनों को सुरक्षा नहीं दे पाने
की भूल नहीं कर सकते हैं।
फादर लोमबार्दी ने उक्त बातें मिलेनियम डेवेलोपमेंट
गोल्स(एमडीजी) अर्थात् ‘ सहस्त्राब्दि विकास लक्ष्य’ के आलोक में कहीं।
उन्होंने
यह भी बताया कि एमडीजी का लक्ष्य है कि अमीर राष्ट्र और विकासशील देश इस बात के लिये
सहयोग करें ताकि दुनिया को ग़रीबी और भुखमरी से बचाया जा सके।
फादर लोमबार्दी
ने बताया की काथलिक चर्च ने आध्यात्मिक, नैतिक एवं समाज के विकास के बुनियादी मूल्यों
को बनाये रखने की ज़िम्मेदारी उठाते हुए इस क्षेत्र में सदा ही अपना योगदान देती रही
है।
काथलिक कलीसिया इन मूल्यों का आधार कलीसियाई दस्तावेज़ ‘कारितास इन वेरिताते’
को मानती है।
न्याय और शांति के लिये बनी परमधर्मपीठीय समिति के अध्यक्ष कार्डिनल
पीटर ने फादर लोमबार्दी की बातों को समर्थन करते हुए कहा कि विकास का केन्द्रबिंदु मानव
ही होना चाहिये। मानव समाज के लिये एक बोझ न हो पर हर समस्या के निदान का एक भाग हो।