18 वर्षीय कियारा बादानो रोम के दिविना अमोरे में धन्य घोषित
रोम, 25 सितंबर, 2010 (ज़ेनित) संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें के प्रतिनिधि संत प्रकरण के
लिये कार्य करने वाली परमधर्मपीठीय समिति के अध्यक्ष अन्येलो अमातो ने 18 वर्षीय कियारा
बादानो को रोम के दिविना अमोरे तीर्थस्थल में आयोजित एक समारोह में धन्य घोषित किया।
कियारा फोकोलारे आंदोलन की एक सदस्या थी, जिसकी स्थापना इटली के किरया लुबिक द्वारा
सन् 1943 ईस्वी में हुई है। कियारा फोकोलारे समुदाय की प्रथम धन्य हैं। ईश्वर को
धन्यवाद देने के लिये रविवार प्रातः साढ़े दस बजे फोकोलारे समुदाय के सदस्यों ने रोम
के ‘सेंट पौल आउट साइड द वॉल’ में एक यूखरिस्तीय समारोह का आयोजन किया हैं जिसकी अध्यक्षता
वाटिकन के राज्य सचिव कार्डिनल बेरतोने करेंगे। कियारा का जन्म उत्तरी इटली के एक
छोटे से गाँव सस्सेलो में 29 अक्तूबर सन् 1971 ईस्वी रुज्जेरो और मरिया तेरेसा बादानो
के परिवार में उनकी शादी के 11 वर्ष बाद हुआ था। कियारा उनकी एकमात्र संतान थी। सन्
1981 से कियारा फोकोलारे आंदोलन की सदस्या थी। जब वह 17 साल थी तो टेनिस खेलते समय
उसके शरीर में तनाव महसूस हुआ और बाद में डॉक्टरों ने बताया कि उसे हड्डी का कैंसर हो
गया था। उसकी केमोथेराफी की चिकित्सा शुरु हुई जो बहुत ही पीड़ादायक थी। जब उस अस्पताल
में भर्ती कराया गया तब वह कई बार कहती थी मेरे येसु अगर आप ऐसा चाहते हैं तो मै भी यही
चाहती हूँ। बाद में कियारा की शल्य चिकित्सा हुई पर यह सफल नहीं हुआ और उसका पैर बेकार
हो गया। वह चलने में असमर्थ हो गयी। वह कहने लगी थी ‘अगर मुझे मेरे पैर और स्वर्ग
के बीच चुनाव करना पड़े तो मैं स्वर्ग को ही चुनूँगी। एक साल के असह्य कष्ट झेलने के
बाद 7 अक्तूबर 1990 को कियारा बादाना सदा के लिये प्रभु में सो गयी। संत प्रकरण में
कार्यरत मरिया ग्राशिया मगरिनी ने बताया कि मृत्यु शय्या में पड़ी कियारा बदानो ने अपनी
मृत्यु की पूरी तैयारी कर ली थी। मृत्यु उसके लिये एक महोत्सव था। उसने खुद अपने
लिये सफेद वस्त्र का चुनाव किया और गीतों का चयन किया था । अपनी मृत्यु के पूर्व उसने
अपनी दोनों आँखों का भी दान कर दिया। नृत्य, संगीत खेल और धार्मिक कार्यों में सदा सक्रिय
रहने वाली कियारा बदानो ने अपनी माँ को जो अंतिम शब्द कहे वे थे " आप प्रसन्न होइये क्योंकि
मैं प्रसन्न हूँ। "