ढाकाः बांगलादेश के अल्पसंख्यकों ने कानून में बदलाव की मांग की
बांगलादेश के अल्पसंख्यकों ने उस कानून में बदलाव की मांग की है जिसके तहत उनके अधिकारों
का उल्लंघन हो रहा है। 18 सितम्बर को राजधानी ढाका में आयोजित एक प्रेस सम्मेलन में
बांगलादेश के हिन्दु, बुद्धिस्ट, क्रिस्टियन काऊन्सल ने उस कानून में बदलाव का आह्वान
किया जिसके तहत देश का परित्याग करनेवाले अल्पसंख्यकों की चल और अचल सम्पत्ति सरकार द्वारा
जब्त की जा सकती है। उक्त काऊन्सल के नेताओं ने बांगलादेश के राष्ट्रीय संसद के समक्ष
इस मुद्दे को उठाया है तथा इस सिलसिले में वे बांगलादेश की प्रधान मंत्री शेख़ हसीना
से भी मिले हैं जिन्होंने इस पर विचार करने का आश्वासन दिया है। अल्पसंख्यकों का
आरोप है कि विगत 45 वर्षों से अधिकारी इस कानून की आड़ में हिदु, बौद्ध एवं ख्रीस्तीयों
की सम्पत्ति को जब्त करते आये हैं। ग़ौरतलब है कि बांगलादेश की स्वतंत्रता से पूर्व
पाकिस्तान की सरकार ने सन् 1965 में विवादास्पद सम्पत्ति अधिनियम पारित किया था। इससे
सन् 1965 से 1969 तक भारत पाकिस्तान युद्ध के दौरान देश का पलायन करनेवालों की सम्पत्ति
जब्त की जाती रही थी। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद यद्यपि सरकार ने इस कानून का नाम
बदल दिया है किन्तु उसकी विषय वस्तु ज्यों कि त्यों रही है। सन् 2001 में अवामी लीग के
नेतृत्व वाली सरकार ने कुछ संशोधन पारित किये थे जिन्हें अब तक प्रभावी नहीं किया गया
है। बांगलादेश के अर्थशास्त्री अबुल बरकत के अनुसार इस कानून के तहत प्रतिदिन कम
से कम 570 अल्पसंख्यक अपनी ज़मीन जायज़ाद खो रहे हैं।