जिनिवा में संयुक्त राष्ट्र संघ के कार्यालय के समक्ष, "यूरोपियन ऑरगनाईज़ेशन फॉर पाकिस्तानी
माईनोरिटीज़", अर्थात् पाकिस्तान के अल्पसंख्यकों के लिये यूरोपीय संगठन ई.ओ.पी.एम. ने
तीन सप्ताहों का अनशन घोषित कर दिया है ताकि पाकिस्तान में रहनेवाले अल्पसंख्यकों की
व्यथाओं के प्रति जनचेतना जाग्रत की जा सके। ग़ौरतलब है 13 सितम्बर से जिनिवा में
मानवाधिकार सम्बन्धी समिति का 15 वाँ सत्र जारी है। भूख हड़ताल करनेवाले प्रदर्शनकारी
चाहते हैं कि सदस्य राष्ट्र उन व्यथाओं पर ध्यान दें जिनसे पाकिस्तान के ख्रीस्तीय, हिन्दु,
सिक्ख एवं अहमदी मुसलमान धर्मानुयायी गुज़र रहे हैं। हाल के माहों में पाकिस्तान के मुसलिम
चरमपंथियों ने अल्संख्यकों के विरुद्ध कार्रवाई को और तीव्र कर दिया है तथा उनके आराधना
स्थलों को भी वे निशाना बना रहे हैं। पाकिस्तान में व्याप्त इस स्थिति का विरोध करने
के लिये प्रॉटेस्टेण्ट पादरी सॉलोमन मसीह तथा ताहिर याकूब पाकिस्तान से जिनिवा आये हैं
तथा संयुक्त राष्ट्र संघीय कार्यालय के समक्ष धरना दे रहे हैं। पाकिस्तानी अल्पसंख्यकों
की स्थिति की उपेक्षा इसलिये कर दी जाती है क्योंकि सरकार प्रायः यह कह देती है कि 95
प्रतिशत जनता इस्लाम धर्मानुयायी है। ई.ओ.पी.एम. के अनुसार पाकिस्तान के ख्रीस्तीय
ही पाँच-छः प्रतिशत तक हैं और यदि इसमें हिन्दु, सिक्ख एवं अहमदियों को जोड़ दिया जाये
तो अल्पसंख्यकों की गिनती कहीं अधिक होगी। उसका आरोप है कि पाकिस्तानी सरकार अल्पसंख्यकों
को प्रतिनिधित्व प्रदान करना नहीं चाहती है और इसलिये उनकी संख्या को गौण बताती है।