नये ‘रोमन मिशल’ के अनुवाद और अंतरधार्मिक वार्ता के लिये प्रयासरत रहें- संत पापा
बरमिंघम, 20 सितंबर, 2010 (ज़ेनित) संत पापा ने इंगलैंड, स्कॉटलैंड और वेल्स के धर्माध्यक्षों
से कहा है कि ‘रोमन मिशल’ का अनुवाद करें और इस बात पर ध्यान दें कि यह नया मिशल यूखरिस्त
संस्कार संबंधी धर्मशिक्षा पर केन्द्रित हो ताकि इस पावन समारोह में लोग भक्तिपूर्वक
सहभागी हो सकें।
संत पापा ने धर्माध्यक्षों को बरमिंघम के संत मेरीस कॉलेज सेमिनरी
में उस समय संबोधित किया जब वे अपनी चार दिवसीय ग्रेट ब्रिटेन की प्रेरितिक यात्रा समाप्त
कर विदा ले रहे थे। विदित हो कि इस नये रोमन मिशल को वाटिकन ने जुलाई महीने में मंजूरी
दी है।
संत पापा ने ‘साक्रमेंतुम कारितातिस’ नामक कलीसियाई दस्तावेज़ को उद्धृत
करते हुए कहा कि ‘लोगों का यूखरिस्तीय विश्वास जितना जीवन्त होगा कलीसियाई जीवन और येसु
के द्वारा प्रेरितों को सौंपे गये मिशन के प्रति वे उतना ही समर्पित होंगे।
संत
पापा ने यह भी कहा कि प्रेरितिक संविधान " अंगलिकारोनुम कोईतिबुस " को कलीसियाई जीवन
में और ही उदार होकर लागू करें। नवम्बर सन् 2009 में प्रकाशित इस दस्तावेज़ के अनुसार
अंगलिकन पूर्ण रूप से रोम की कलीसिया के साथ सहभागी हो सकते हैं।
इसे अंतरधार्मिक
एकता की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम माना जाना चाहिये। इस दस्तावेज़ से के पूर्ण रूप
से लागू किये से अंतरधार्मिक वार्ता के लक्ष्य को पूरी करने मार्ग प्रशस्त होगा। इससे
दोनों ही समुदायों को आध्यात्मिक परिपूर्ण होगा।
संत पापा ने सभा के अंत में
प्रार्थना करते हुए कहा कि धर्माध्यक्ष अनवरत प्रयास करें ताकि इस लक्ष्य को प्राप्त
के खुशी का दिवस शीघ्र आ सके।