2010-09-17 13:54:34

संत मेरीस यूनिवर्सिटी कॉलेज ट्विकेनहम के शिक्षकों और धर्मसमाजियों को संत पापा का संबोधन


वाटिकन सिटी, 17 सितंबर, 2010( सेदोक वीआर) संत पापा ने शिक्षकों और काथलिक शिक्षा से जुड़े धर्मसमाजियों के कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में उनकी सेवाओं से देश में एक नयी पीढ़ी का आगमन हुआ है जिन्हें न केवल विश्वास की जानकारी प्राप्त हुई है पर उन्हें एक सच्चा और प्रौढ़ नागरिक भी बनाया है।

उन्होंने कहा कि एक शिक्षक का दायित्त्व ज्ञान देना और रुपये कमाने के लिये कुछ हुनर सिखा देना सिर्फ़ नहीं है पर शिक्षा का उद्देश्य है सच्चे मानव का निर्माण ताकि वह अपने जीवन को पूर्ण रूप से जी सके।

दूसरे शब्दों में शिक्षा का अंतिम लक्ष्य है, उस प्रज्ञा को प्राप्त करना जिसे ईश्वर हमें प्रदान करते हैं ताकि इससे न केवल हमारा आर्थिक कल्याण हो वरन् इससे आध्यात्मिक जीवन मजबूत हो।

उनकी इच्छा है कि शिक्षा प्राप्ति के साथ विद्यार्थी सत्य की खोज करे जैसा कि मठवासी किया करते थे। विद्यार्थियों को ऐसा ज्ञान दिया जाये कि वे संत की खोज करते हुए उन सभी साधनों जैसे - प्रकृति और प्रकाशित ईशवचन का सहारा लें जिससे वे ईश्वर को पा सकें।

यदि हम इतिहास को देखें तो पायेंगे कि मठवासियों के ईश्वर को खोजने की लग्नता ने पश्चिमी सम्यता और संस्कृति के विकास के लिये नींव का कार्य किया है। संत पापा ने कहा कि कई धर्मसमाजों का मुख्य कार्य युवाओं को शिक्षित करना है जो समाज के लिये एक विशेष वरदान है।

संत पापा ने कहा कि वे इस बात को भी बताना चाहते हैं कि शिक्षा की विषयवस्तु सदा ही काथलिक कलीसिया के सिद्धांत के अनुसार हो जिससे शिक्षा अधिक प्रभावकारी हो सके और युवा आरंभ से ही येसु के बारे में जानने का आनन्द पा सकें। काथलिक शिक्षा का आधार हो - काथलिक विश्वास, प्रेम और सौहार्दपूर्ण वातावरण।











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