ऐतिहासिक ख्रीस्तीय नींव को धुँधला नहीं पड़ने दिया जाये, बेनेडिक्ट 16 वें
"ग्रेट ब्रिटेन तथा राष्ट्रमंडल के दो अरब लोग एवं अँग्रेज़ी भाषा भाषी विश्व के सभी
देशों के लोग, धर्म और ईश्वर के आक्रामक बहिष्कार या मानव एवं समाज की भ्रामक छवि प्रस्तुत
करनेवाली दृष्टि द्वारा, उस ख्रीस्तीय नींव को धुँधला नहीं पड़ने दें जिसने लगभग एक हज़ार
वर्ष से अधिक समय तक आपकी स्वतंत्रता एवं आपकी संस्कृति को पोषित किया है।" इन शब्दों
से सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने, ग्रेट ब्रिटेन की चार दिवसीय यात्रा के प्रथम पड़ाव,
एडिनबर्ग में, अपने आगमन के अवसर पर, ब्रिटेन की महारानी एलिज़ाबेथ के समक्ष, अपनी यात्रा
के सर्वाधिक महत्वपूर्ण उद्देश्य की प्रकाशना की। 16 वीं शताब्दी में इंग्लैण्ड के राजा
हेनरी आठवें द्वारा सार्वभौमिक काथलिक कलीसिया से अलग होने के बाद, काथलिक कलीसिया के
किसी परमाध्यक्ष की यह पहली आधिकारिक यात्रा है क्योंकि सन् 1982 में सन्त पापा जॉन पौल
द्वितीय द्वारा सम्पन्न यात्रा की प्रकृति प्रेरितिक थी।
सार्वभौमिक
काथलिक कलीसिया के परमधर्मगुरु सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें, इस समय, ब्रिटेन की महारानी
एलिज़ाबेथ द्वितीय, ब्रितानी सरकार और साथ ही स्कॉटलैण्ड तथा इंगलैण्ड एवं वेल्स के काथलिक
धर्माध्यक्षों के आमंत्रण पर ग्रेट ब्रिटेन की चार दिवसीय यात्रा कर रहे हैं। गुरुवार
को सन्त पापा रोम से फ्राँस होते हुए एडिनबर्ग पहुँचे। परमाध्यक्षीय यात्राओं की परम्परा
को बरकरार रखते हुए, विमान से, सन्त पापा ने इटली तथा फ्राँस के राष्ट्रपतियों के नाम
अलग अलग तार सन्देश प्रेषित कर दोनों देशों के लोगों के प्रति मंगलकामनाएँ अर्पित कीं
तथा उन पर प्रभु की अनुकम्पा का आह्वान किया।
ग्रेट ब्रिटेन में धर्म के प्रति
नित्य बढ़ती उदासीनता तथा वर्तमान जगत में उभरती आर्थिक एवं सामाजिक चुनौतियों के बावजूद
ग्रेट ब्रिटेन के आठ प्रतिशत काथलिक धर्मानुयायियों को उनके विश्वास में सुदृढ़ करना
इस यात्रा का प्रमुख उद्देश्य है। सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें की यात्रा से पूर्व ही
इसकी सफलता-असफलता तथा पक्ष-विपक्ष में बहुत कुछ कहा जा चुका है किन्तु ब्रिटेन के प्रधान
मंत्री डेविड कैमरॉन के लिये, "ये चार दिवस न केवल हमारे साठ लाख काथलिकों के लिये बल्कि
ब्रिटेन में निवास करनेवाले अन्य अनेक धर्मों के अनुयायियों के लिये और साथ ही सम्पूर्ण
विश्व में टेलेविज़न एवं इन्टरनेट के माध्यम से बेनेडिक्ट 16 वें के शब्द सुननेवालों
के लिये भी अति विशिष्ट काल होगा।"
यात्रा के प्रथम दिन स्कॉटलैण्ड के लगभग
1,25,000 लोगों ने, वाटिकन के श्वेत एवं पीले ध्वजों को फहराते हुए, एडिनबर्ग के मार्गों
के ओर छोर खड़े होकर, पारदर्शी मोटर गाड़ी पापामोबिल से निकलते सन्त पापा बेनेडिक्ट 16
वें का हार्दिक स्वागत किया। कहीं-कहीं पर दस बीस विरोधियों की भी आवाज़ सुनाई पड़ी जो
प्रशंसकों के जयनारों एवं करतल ध्वनि के बीच दब गई। हालांकि यह समझना ग़लत होगा कि काथलिक
कलीसिया, विरोधी आवाज़ों को अनसुना कर देती है अथवा उन ध्यान ही नहीं देती। हाल के वर्षों
में, ग्रेट ब्रिटेन, आयरलैण्ड तथा यूरोप के अनेक देशों से कुछेक पुरोहितों द्वारा बच्चों
एवं किशोरों के विरुद्ध यौन दुराचार की ख़बरें मिलने के बाद सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें
की यू.के. यात्रा के विरुद्ध कुछ विरोधी आवाज़ें भी उठीं जो अब भले ही मन्द पड़ गई हों
किन्तु सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने उन्हें नज़रअन्दाज़ नहीं किया।
गुरुवार
को रोम से स्कॉटलैण्ड की राजधानी एडिनबर्ग तक की विमान यात्रा के दौरान पत्रकारों के
सवालों का जवाब देते हुए सन्त पापा ने उन आरोपों एवं पूर्वधारणाओं का खण्डन किया जिनके
अनुसार काथलिक कलीसिया दुराचारी पुरोहितों की रक्षा करती रही है। यौन दुराचार की ख़बरों
के बारे में सन्त पापा ने कहा, "इन ख़बरों की प्रकाशना मेरे लिये महान दुःख के साथ साथ
आश्चर्य का कारण बनी हैं क्योंकि यह समझना कतई सम्भव नहीं कि पुरोहिताई मिशन हेतु ख़ुद
को समर्पित करनेवाले व्यक्ति कैसे पथभ्रष्ट हो सके।" उन्होंने कहा, "यह अत्यधिक दुखदायी
तथ्य है कि कलीसियाई अधिकारी पर्याप्त रूप से सचेत नहीं रहे तथा दुराचारियों के विरुद्ध
तुरन्त कार्रवाई करने में असफल रहे।" सन्त पापा ने दुराचार के शिकार बने व्यक्तियों के
लिये आध्यात्मिक, मनोवैज्ञानिक एवं भौतिक मदद, दुराचारियों के लिये न्यायोचित दण्ड और
पश्चाताप तथा पौरोहित्य प्रशिक्षण के भावी अभ्यर्थियों के चुनाव में सावधानी बरतने का
आह्वान किया है।
गुरुवार को, स्कॉटलैण्ड स्थित महारानी के आधिकारिक निवास
होलीरुड हाऊस के शाही प्रासाद में मशक-बीनों के नाद ने सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें का
भावपूर्ण स्वागत किया। इस अवसर पर सन्त पापा ने स्मरण कराया कि इंग्लैण्ड एवं स्कॉटलैण्ड
के राजा लगभग एक हज़ार साल से ख्रीस्तीय धर्म के अनुयायी रहे हैं तथा ख्रीस्तीय धर्म
की जड़े उनकी भाषा, संस्कृति एवं परम्पराओं में मूलबद्ध है। उन्होंने कहा कि सत्य एवं
न्याय तथा दया एवं उदारता का पाठ भी ब्रितानी लोगों ने ख्रीस्तीय धर्म से ही सीखा तथा
ख्रीस्तीय एवं ग़ैरख्रीस्तीय लोगों के कल्याण के लिये इसका उपयोग किया जो सराहनीय है।
ग्रेट ब्रिटेन के लोगों से उन्होंने अपील की कि जिस ख्रीस्तीय विश्वास से प्रेरित होकर
विलियम विलबरफोर्स या डेविड लिविंगस्टन, फ्लोरेन्स नाईटिंगेल या कार्डिनल न्यूमन ने मानव
उत्थान के कार्य किये उसी विश्वास में सुदृढ़ होकर वे नैतिक मूल्यों से पुष्ट एक स्वस्थ
ब्रितानी समाज की रचना करें।
ग्रेट ब्रिटेन को दिये अपने प्रथम सन्देश में सन्त
पापा ने कहा, "आज, यूनाईटेड किंगडम आधुनिक एवं बहुसांस्कृतिक समाज बनने का भरसक प्रयास
कर रहा है। इस चुनौतिपूर्ण उद्यम में वह सदैव उन पारम्परिक एवं सांस्कृतिक अभिव्यक्तियों
का सम्मान करे जिन्हें आक्रामक ढंग की धर्मनिरपेक्षता महत्वपूर्ण नहीं मानती तथा सहन
नहीं करती है।"
सन्त पापा से मुलाकात के अवसर महारानी साहिबा ने भी काथलिक एवं
एंग्लिकन धर्मानुयायियों की सामान्य ख्रीस्तीय धरोहर पर चर्चा की और कहा कि वार्ताओं
द्वारा "पुराने सन्देहों को निश्चित्त रूप से दूर किया जा सकता है।
गुरुवार
अपराह्न सन्त पापा ने ग्लासगो के बेल्लाह्यूस्टन उद्यान में लगभग 65,000 विश्वासियों
के लिये ख्रीस्तयाग अर्पित किया। ब्रिटेन की गायिका सूज़न बोयल के गीतों ने सम्पूर्ण
वातवरण को भक्तिमय बनाये रखा। इस अवसर पर सन्त पापा ने सापेक्षवाद के ख़तरों के प्रति
विश्वासियों को सचेत किया जो मानव स्वभाव विषयक अपरिवर्तनीय सत्य को ही तोड़ मरोड़ कर
रखने का प्रयास कर रहा है।