यूनाईटेड किंगडम की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय का संबोधन
यूनाइटेड किंगडम में, विशिष्ट रूप से स्काटलैंड में संत पापा के रूप में आपकी पहली यात्रा
के समय आपका स्वागत करते हुए मुझे बहुत प्रसन्नता है। मैं 1982 में स्वर्गीय संत पापा
जोन पौल द्वितीय की अविस्मरणीय मेषपालीय यात्रा का सहर्ष स्मरण करती हूँ। वाटिकन की चार
बार सम्पन्न अपनी यात्राओं तथा आपके पूर्वाधिकारियों से मिलने की जीवंत स्मृति है। मुझे
और मेरे परिजनों को मिले आतिथ्य सत्कार के लिए मैं आभारी हूँ।
लगभग 30 वर्ष पूर्व
सम्पन्न संत पापा जोन पौल द्वितीय की यात्रा के बाद विश्व में बहुत परिवर्तन हुआ है।
इस देश में तथा उत्तरी आयरलैंड में परिस्थितियों में परिवर्तन लाने के लिए वाटिकन के
प्रयासों की हम सराहना करते हैं। उत्तरी और मध्य यूरोप में तानाशाही सत्ता के पतन से
लाखों लोगों को पहले से कहीं अधिक स्वतंत्रता मिली है। अंतरराष्ट्रीय मुद्दों में, शांति
और विकास के समर्थन में तथा सामान्य समस्याओं जैसे निर्धनता और जलवायु परिवर्तन के समाधान
पाने के लिए वाटिकन की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है।
आपकी उपस्थिति हमें हमारे
सामान्य ख्रीस्तीय विरासत तथा विश्व शांति को प्रोत्साहन देने और विश्व के कम विकसित
देंशों में आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए ख्रीस्तीय योगदान का स्मरण कराती है। निर्धनों
और समाज के वंचित तबकों की सेवा, बेघर लोगों की देखरेख तथा स्कूलों के व्यापक नेटवर्क
द्वारा शिक्षा उपलब्ध कराने में रोमी काथलिक चर्च के विशेष योगदान के प्रति हम जागरूक
हैं। राष्ट्रीय अस्मिता और ऐतिहासिक आत्म जागरूकता में धर्म की हमेशा प्रमुख तत्व रहा
है। विभिन्न धर्मों के मध्य संबंध देश के अंदर तथा विभिन्न देशों के मध्य सहयोग का जरूरी
बात है। इसलिए परस्पर और सम्मानपूर्ण समझदारी को प्रोत्साहन देना बहुत जरूरी है। हम अनुभव
से जानते हैं कि समर्पित संवाद डायलाग से पुराने संदेहों को पारकर बेहतर परस्पर आस्था
की स्थापना की जा सकती है।
कार्डिनल जोन हेनरी न्यूमन के जीवन में मेलमिलाप केन्द्रीय
विषय रहा था जिनेके लिए आप रविवार को ख्रीस्तयाग सम्पन्न कर उन्हें धन्य घोषित करेंगे।
संदेह और अनिश्चितता के खिलाफ संघर्ष किया तथा ख्रीस्तीयता को समझने के लिए उनका योगदान
आज भी बहुत लोगों को प्रभावित करता है। मुझे खुशई है कि आपका दौरा रोमी काथलिक चर्च तथा
चर्च औफ इंगलैंड और चर्च औफ स्काटलैंड के मध्य संबंध को गहन बनाने के लिए अवसर देगा।
हाल के वर्षों में आपने कहा कि धर्म कदापि नफरत का वाहक नहीं बन सकता है, ईश्वर
का नाम लेकर बुराई और हिंसा को कदापि वैध नहीं ठहराया जा सकता है। हम यह मानते हैं कि
धार्मिक स्वतंत्रता, सहिष्णु और लोकतांत्रिक समाज के मूल में है। मैं यूनाईटेड किंगडम
के सब लोगों की ओर आपको फलप्रद और स्मरणीय दौरे की शुभकामना देती हूँ।