यूनाईटेड किंगडम की महारानी एलिजबेथ और ब्रिटेन के नाम संत पापा का संबोधन
एडिनबर्ग, 16 सितंबर, 2010 (सेदोक, वीआर) संत पापा ने महारानी के यूनाईटेड किंगडम में
आने का निमंत्रण देने और स्वागत भाषण के लिये धन्यवाद देते हुए ब्रिटेन के उपस्थित अधिकारियों
से कहा कि उन्हें प्रसन्नता है कि उन्हें ब्रिटेन में आने का अवसर मिला है। उनके वहाँ
आने से यूके और वाटिकन की मित्रता सुदृढ़ हुई है।
संत पापा ने कहा कि स्कॉटलैड
की ऐतिहासिक राजधानी उनकी यूके यात्रा का प्रथम पड़ाव है जहाँ आरंभ में ही स्कॉटलैंड
के पार्लियामेंट के प्रतिनिधियों को वे यह कहना चाहते हैं कि वे स्कॉलैंड की गौरवमयी
परम्परा को बरकरार रखें और एक दूसरे की सहायता करते हुए एक साथ मिलकर सार्वजनिक हित के
लिये कार्य करें।
संत पापा ने कहा कि महारानी के आवास को ‘होलिरूदहाउस’ के नाम
से जाना जाता है जिसका अर्थ है ‘पवित्र क्रूस’ जो इस बात की ओर इंगित करता है कि यूकेवासियों
का जीवन में ख्रीस्तीयता की जड़ गहरी है। इंगलैंड और स्कॉटलैंड में जो भी राजा हुए वे
ईसाई ही थे और इस देश ने विश्व को एडवर्ड और मार्ग्रेट जैसे महान् सतों को प्रदान किये
हैं।
इन संतों और नेताओं ने अपने कर्त्तव्यों को पवित्र धर्मग्रंथ बाईबल के आलोक
में निबाहा। इसी लिये ख्रीस्तीयता का संदेश देश की भाषा, विचार, संस्कृति और लोगों के
जीवन का अभिन्न अंग बन गया है।
यूनाईटेड किंगडम ने आरंभ से ही सत्य और न्याय
का सम्मान किया है और ख्रीस्तीय विश्वास ने लोगों को दया और प्रेम का पाठ पढ़ाया जिससे
आज भी पूरे देश के ख्रीस्तीय और अन्य धर्मावलंबी लाभान्वित हुए हैं।
अच्छाई
की शक्ति की झलक हम ब्रिटेन के पूरे इतिहास में पाते हैं। विलियम विलबरफोर्स और डेविड
लिविंगस्टोन जैसे महारथियों ने ही अंतरराष्ट्रीय गुलाम प्रथा को रोकने के लिये दबाव डाला
था और इसका अंत संभव हो पाया।
इसी ख्रीस्तीय विश्वास के प्रभाव ने फ्लोरेंस
नाइटिंगेल को बीमारो और पीड़ितों की सेवा के लिये प्रेरित किया। और बाद में इसी सेवा
भावना का कई लोगों ने अनुकरण किया। हम आज गर्व से कार्डिनल जोन हेनरी न्यूमैन की याद
करते हैं जिन्होंने अपने कार्यों और वाकपटुता से दुनिया को प्रभावित किया है। यह उचित
ही है कि उन्हें काथलिक कलीसिया धन्य घोषित करने को तैयार है।
इतना ही नहीं आज
हम उन ब्रिटिश नेताओं की भी जिन्होंने नाज़ी ताकत के विरुद्ध आवाज़ उठायी थी जो ईश्वर
के अस्तित्व को समाज से समाप्त करने पर तुले हुए थे। इतना नहीं यहूदियों के लिये तो यूकेवासियों
का योगदान और ही महत्त्वपूर्ण है जिन्हें नाज़ी समूल उकाड़ फेंकना चाहते थे।
आज
इस बात को गहराई से समझने की आवश्यकता है कि ईश्वर धर्म और गुणों के बिना समाज का कल्याण
नहीं हो सकता है। करीब 62 साल पहले ब्रिटेनवासियों ने द्वितीय विश्व युद्ध के बाद युनाईटेड
नेशन्स की स्थापना में अपना बहुमूल्य योगदान दिया ताकि अंतरराष्ट्रीय शांति और प्रगित
संभव हो सके।
हाल के वर्षों में ब्रिटेन ने उत्तरी आयरलैंड के साथ ‘गुड फ्राईडे
अग्रीमेंट’ की संधि करने में अपनी सक्रिय भूमिका निभायी है। इसके साथ ही ब्रिटेन की सरकार
ने उत्तरी आयरलैंड के साथ मिलकर समस्याओं के समाधान का एक शांतिपूर्ण रास्ता खोज निकाला
है। संत पापा ने कहा कि इसी प्रकार इस देश का हर व्यक्ति न्याय और शांति के मार्ग पर
चलने को प्रयासरत रहे।
संत पापा ने कहा कि यूनाईटेड किंगडम आज भी राजनीतिक और
आर्थिक दृष्टि अंतरराष्ट्रीय मंच में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता रहा है। इसीलिये आज
भी देशवासियों का दायित्व है कि वे सार्वजनिक हितों के लिये कार्य करें। आज इसीलिये ब्रिटिश
मीडिया की भूमिका भी अति महत्त्वपूर्ण हो गयी है।
बिटिश मीडिया को चाहिये कि
वह विश्व में शांति एवं विकास, एक-दूसरे के प्रति सम्मान की भावना और मानवाधिकर की रक्षा
और विस्तार के लिये कार्य करे।
संत पापा की इच्छा है कि ब्रिटेन के लोग ईमानदारी
पूर्वक मूल्यों की रक्षा और आपसी सम्मान के लिये कार्य करें जिसकी दुनिया के लोग तारीफ़
करते हैं। आज ब्रिटेन विश्व में आधुनिक और बहुलसंस्कृति वाला समाज के रूप मान्यता
प्राप्त कर चुका है।
आज यूके से यही आशा की जाती है कि यह परंपरागत और सांस्कृतिक
मूल्यों की रक्षा करे अपने ईसाई मूल्यों को न भूल जाये। इसके साथ ही ब्रिटेन ने मूल्यों
की जो विरासत पायी है जिसे कॉमलवेल्थ देशों और अंग्रेजी भाषा-भाषियों के बीच बाँटे। ईश्वर
इस कार्य में महारानी और ब्रिटेनवासियों की मदद करें।