धर्माध्यक्षों का जीवन कलीसिया के हित के लिये एक बलिदान – संत पापा
कास्तेल गंदोल्फो, 13 सितंबर, 2010 (ज़ेनित) संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें ने रोम में
सुसमाचार प्रचार विषय पर हो रहे सेमिनार में भाग ले रहे विश्व के धर्माध्यक्षों से कहा
है कि " पूरी कलीसिया धर्माध्यक्षों की अगवाई पर अपनी पूरी आशा रखती है उनके लिये प्रार्थना
करती है और सप्रेम उनका अनुसरण करती है।" संत पापा ने उक्त बातें उस समय कहीं जब
शनिवार 11 सितंबर को उन्होंने कास्तेल गंदोल्फो में नये धर्माध्यक्षों को संबोधित किया
जब उन्होंने उनसे मुलाक़ात की। ज्ञात हो कि धर्माध्यक्ष सुसमाचार प्रचार के लिये बनायी
गयी धर्माध्यक्षीय समिति के द्वारा रोम में 6 से 18 सितंबर तक आयोजित सेमिनार में हिस्सा
ले रहें हैं। संत पापा ने कहा कि " मैं जानता हूँ की आप अनेक चुनौतियों का करीबी से
सामना कर रहे हैं और विभिन्न रूपों में धर्मसतावट झेल रहे है। आपलोगों का दायित्व है
कि आप ख्रीस्तीयों की आशा को सुदृढ़ करें, उनके दुःखों में सहभागी हों और येसु ख्रीस्त
के जीवन से प्रेरणा पाते रहें। येसु ने सदा ही सहानुभूतिपूर्वक लोगों का साथ दिया उन्हें
स्वीकार किया और उनकी समस्याओं के समाधान के लिये जीवनप्रयंत तैयार रहे। आपका सारा जीवन
भी विश्वासियों के लिये ही समर्पित हो। " पोप ने कहा कि " आप जो भी करें पवित्र आत्मा
से प्रेरित होकर करें और अपनी व्यस्ततम ज़िन्दगी में भी प्रार्थना के लिये समय निकालें।
धर्माध्यक्ष का जीवन कलीसिया के हित के लिये हरपल चढ़ाया गया एक बलिदान है विशेकर उनलोगों
की आध्यात्मिक मुक्ति का जिनके ऊपर धर्माध्यक्ष की ज़िम्मेदारी है।" धर्माध्यक्षों
के कार्यों के बारे बोलते हुए उन्होंने कहा कि उनका मिशन है " प्रेममयी सेवा।" धर्माध्यक्षों
को ईश्वर बुलाते हैं ताकि वे चर्च की सेवा ठीक उसी तरह से कर सकें जैसे कि मानव बने ईशपुत्र
ने किया था। वे पूर्ण रूप से ईश्वर और मानवता के सेवक बनें। आप ईश्वर और प्रभु वचन को
सुनें, जहाँ से आपको पूर्ण ताकत प्राप्त होती होगी। आपका सर्वप्रथम कर्त्तव्य है कि आप
कलीसिया के संस्कारों के द्वारा विशेषकरके यूखरिस्तीय संस्कार के द्वारा जो हमारे मिशन
का श्रोत और केन्द्रबिन्दु है, सुसमाचार का प्रचार करें।" संत पापा बेनेदिक्त ने
कहा कि वे इस बात से अवगत हैं कि " धर्मध्यक्षों का कार्य चुनौतिपूर्ण है पर ऐसे ही
समय में सुसमाचार लोगों को अपनी मुक्ति की शक्ति प्रदान कर सकता है। आप कभी भी निराशावादी
नहीं बनें न ही हताश हों क्योंकि पवित्र आत्मा कलीसिया का मार्गदर्शन करता है उसमें अपना
जीवन साँस फूँकता है और नयी शक्ति प्रदान करता है ताकि हम सदा नये तरीकों से लोगों के
जीवन में प्रवेश कर सकें।"