फिरोज़पुर, 8 सितंबर, 2010 (एशियान्यूज़) पंजाब के जालंधर धर्मप्रांत में लिटल सिस्टर्स्
ऑफ सेंट तेरेसा की धर्मबहनों ने परंपरागत बाल-विवाह को रोकने के लिये जागरुकता अभियान
आरंभ कर दिया है। इस आशय की जानकारी देते हुए सिस्टर रीता डेनिस ने बताया कि बाल-विवाह
से शारीरिक और मनोवैज्ञानिक रूप से लड़कियों पर प्रतिकूल असर पड़ता है। अपने जागरुकता
अभियान के बारे में बताते हुए सिस्टर एलसीमा अगुस्टीन ने कहा कि वे चाहतीं हैं कि लोगों
को शिक्षित करे ताकि नबालिग युवतियाँ विवाह के पूर्व उचित शिक्षा प्राप्त कर सकें। पंजाब
के जालंधर क्षेत्र में कार्यरत धर्मबहनों ने न केवल युवतियों के बीच जागरुकता के लिये
कार्य कर रहीं हैं पर उनके माता-पिता को भी बाल-विवाह से होने वाले खतरों और दुष्परिणामों
के बारे में जानकारियाँ दे रही हैं। लिटल सिस्टर्स ऑफ सेंट तेरेसा की धर्मबहनों ने
जालंधर धर्मप्रांतों में दो केन्द्र खोल रखे हैं जहाँ युवतियों को विभिन्न दलों में शिक्षित
किया जा रहा है। ग़ौरतलब है कि इस बाल-विवाह की बुराइयों के बारे में जानकारी प्राप्त
करने वालों में ईसाइयों के अलावा हिंदु और सिक्ख परिवारों के सदस्य भी सक्रिय सहभागी
हो रहे हैं। सिस्टर रीता का कहना है कि वे चाहते हैं कि वे अधिक-से-अधिक परिवारों
से संपर्क बनायें और उन्हें बाल-विवाह की बुराइयों के बारे में जानकारी दें ताकि लोग
इस सामाजिक कुप्रचलन से मुक्ति पा सकें। इतना ही नहीं सिस्टर रीता ने बताया कि उनका
केन्द्र उन लोगों की भी मदद करता है जो विवाहित है ताकि वे अपने बच्चों का भरण-पोषण और
पारिवारिक जिम्मेदारी भली-भाँति निभा सकें।