बुधवारीय आमदर्शन समारोह में संत पापा का संदेश 1 सितंबर, 2010
कास्तेल गंदोल्फो, 1 सितंबर, 2010 (सेदोक, वीआर) श्रोताओ, संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें
ने 25 अगस्त को बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर कास्तेल गंदोल्फो स्थित प्रेरितिक
प्रासाद के प्रांगण में देश विदेश से आये तीर्थयात्रियों और भक्तों को विभिन्न भाषाओं
में सम्बोधित किया। उन्होंने कहा- मेरे अति प्रिय भाइयो एवं बहनों, सन् 1988 ईस्वी
के मरिया के वर्ष के अवसर पर संत पापा जोन पौल द्वितीय ने एक प्रेरितिक पत्र लिखा था
जिसकी शीर्षक का ‘मूलेयरिस दिगनीतातेम’ जिसमें उन्होंने कलीसिया में महिलाओं की भूमिका
की विशेष चर्चा की थी। आज हम उन सभी महिलाओं को धन्यवाद देते हैं जिनपर पवित्र आत्मा
ने विशेष कृपा की और जिससे कलीसिया को आध्यात्मिक लाभ हुए हैं। यहाँ तक कि मध्यकालीन
युग में जब समाज में महिलाओं की स्थिति उतनी अच्छी नहीं थी कई महिलाओं ने अपने पवित्र
जीवन से कलीसिया के विश्वास को सुदृढ़ किया। आज हमे उनमें से एक महिला की चर्चा
करें जिसे कलीसिया बिनगेन की हेडेनगार्ड के रूप में याद करती है जिनका जन्म 11वीं शताब्दी
में सन् 1098 में जर्मनी के राइनलैंड में हुआ था। हिल्डेनगार्ड के माता-पिता कुलीन
घराने के थे पर उनका स्वभाव धार्मिक । उन्होंने हिल्डेनगार्ड की आध्यात्मिक सुदृढ़ता
के लिये यूदित नामक एक गुरु को नियुक्त किया था। बाद में हिल्डेनगार्ड ने संत यूदित
के धर्मसमाज में प्रवेश किया और उनकी मृत्यु के बाद खुद ही एक अलग समुदाय की स्थापना
की जिसे उसने संत रूपेर्ट को समर्पित किया। हिल्डेनगार्ड को अपने मठवासी जीवन में
कई अलौकिक दर्शन प्राप्त हुए। संत पापा यूजिन तृतीय ने उन्हें यह इस बात की अनुमति दी
कि वह अपने दर्शन को लोगों को बताये। और इसी के बाद से हिल्डेनगार्ड लोगों के बीच बहुत
प्रसिद्ध हुई। उन्हें पवित्र आत्मा के वरदान प्राप्त हुए और ईश्वर ने उसका उपयोग
किया और इससे कलीसिया में लोगों का विश्वास पक्का हुआ। इतना कह कर संत पापा ने अपने
संदेश समाप्त किया। उन्होंने स्कॉटलैंड, आरलैंड, डेनमार्क, जापान, श्रीलंका और उपस्थित
तीर्थयात्रियों पर प्रभु की कृपा और शांति की कामना करते हुए उन्हें अपना प्रेरितिक आशीर्वाद
दिया।