2010-08-30 20:14:19

400 सालों बाद उत्तरी सुमात्रा में ज्वालामुखी फटा


सुमात्रा, 30 अगस्त, 2010 (साभार, बीबीसी) उत्तरी सुमात्रा में चार सौ साल बाद फटे ज्वालामुखी की वजह से इंडोनेशिया में कई लोग अस्थाई शिविरों में रात गुज़ार रहे हैं।
अधिकारियों का कहना है कि मेदान के पास माउंट सिनाबुंग की ढलान और उसके आसपास के इलाक़े से लगभग 19 हज़ार लोगों को हटा लिया गया है।
ज्वालामुखी के फटने से इन इलाकों में बसे गाँवों और खेतों में धुआँ और धूल फैला हुआ है। श्वांस की समस्या से कम से कम एक व्यक्ति के मरने की ख़बर भी आई है।
यह ज्वालामुखी 410 साल बाद फटा है। द्वीप में रेड अलर्ट जारी कर दिया गया है। ज्वालामुखी आपदा केंद्र के प्रमुख सुरोनो ने बताया, ‘ज्वालामुखी के क्रेटर से धुएं का गुबार और राख 1,500 मीटर की ऊंचाई तक पहुँच चुका है यह निश्चित रूप से खतरनाक है।’
उत्तरी सुमात्रा में माउंट सिनाबुंग नामक यह ज्वालामुखी करीब 2,460 मीटर ऊंचा है। इससे पहले, यह ज्वालामुखी वर्ष 1600 में फटा था। इसमें शुक्रवार से ज्वालामुखीय गतिविधियां नजर आ रही थीं।

इसके सक्रिय होने के बाद फिलहाल जान-माल को किसी नुकसान की खबर नहीं है। बचाव दल के अधिकारी मोहम्मद एगस विबीसोनो ने बताया कि छः किलोमीटर के खतरनाक क्षेत्र से लोगों को निकाला जा रहा है। ज्वालामुखी से निकली राख 30 किलोमीटर दूर तक फैल गई है।
इंडोनेशिया के ज्वालामुखी केंद्र के वैज्ञानिकों ने पहले कहा था कि ज्वालामुखी फटने की वजह बारिश थी लेकिन अब उन्होंने निष्कर्ष निकाला है कि चट्टानों और ठोस पदार्थों के पिघलने से ज्वालामुखी फटा है।
इंडोनेशिया पृथ्वी के ऐसे स्थान पर है जहाँ ज्वालामुखी और भूकंप की हमेशा आशंका रहती है। उल्लेखनीय है कि ज्वालामुखी पृथ्वी के सतह पर उपस्थित होते हैं जिनसे पृथ्वी के भीतर का गर्म लावा, गैस और राख बाहर आते हैं.
अक्सर ज्वालामुखी पहाड़ के रूप में होते हैं और ये विस्फोट के साथ फटते हैं वैज्ञानिक अब भी निश्चित रूप से बता पाने में असमर्थ हैं कि ज्वालामुखी कब फटेगा और विस्फोट कितना शक्तिशाली होगा।












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