2010-08-24 12:13:36

नई दिल्लीः उड़ीसा नरसंहार के शिकार व्यक्तियों के लिये जन अदालत


उड़ीसा में दो वर्ष पूर्व हिन्दु चरमपंथियों द्वारा हिंसा के शिकार बनाये गये ख्रीस्तीय धर्मानुयायियों को न्याय दिलाने के लिये, नेशनल सोलीडेरिटी फोरम ने 22 अगस्त को नई दिल्ली में एक राष्ट्रीय जन अदालत का गठन किया जिसमें पूर्व न्यायाधीश, मानवाधिकार कार्यकर्त्ता, पत्रकार एवं राजनैतिक विश्लेषक शामिल हैं।

उक्त जन अदालत दिसम्बर 2007 से लेकर अगस्त 2008 के दरम्यान घटित हिंसा के 43 प्रकरणों पर गवाहों के पक्ष सुनेंगे जिनमें 93 व्यक्तियों की हत्या हो गई थी।

नई दिल्ली स्थित नेशनल सोलीडेरिटी फोरम के अध्यक्ष धीरेन्द्र पंढा ने एशिया समाचार से कहा कि दो वर्ष बाद भी हत्या एवं हिंसा के शिकार बनाये गये उड़ीसा के ख्रीस्तीयों को न्याय नहीं मिला है। उन्होंने कहा कि प्रमुख आरोपी उड़ीसा में सत्तारूढ़ भाजपा के सदस्य हैं इसलिये भारतीय न्यायिक निकाय अपराधियों को दण्डित करने में असफल रहा है। उनके अनुसार भाजपा के अनेक सदस्य गवाहों को धमकाते रहे हैं तथा उन्हें आतंकित करते रहे हैं।

कटक भूवनेश्वर के महाधर्माध्यक्ष राफायल चीनात ने कहा, "हम उड़ीसा के ख्रीस्तीयों के लिये न्याय की मांग कर रहे हैं।" उन्होंने कहा, "भारत के नागरिक होने के नाते ख्रीस्तीय धर्मानुयायियों को भी अपने धर्म पालन का अधिकार होना चाहिये तथा सुरक्षा, जीविका एवं शिक्षा का आश्वासन उन्हें भी मिलना चाहिये।" इस बात पर उन्होंने खेद व्यक्त किया कि विगत दो वर्षों में उड़ीसा सरकार ख्रीस्तीय विरोधी हिंसा के ज़िम्मेदार लोगों को न तो गिरफ्तार कर पाई है और न ही ख्रीस्तीयों को न्याय दे पाई है।








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