चाय बागानों के श्रमिकों की एक भारतीय काथलिक दल की सहायता
भारत के असम के चाय बागानों में निर्धन लोगों को अपने अधिकार पाने के लिए एक भारतीय काथलिक
दल सहायता कर रहा है। सामाजिक कार्यकर्ता और वकील येसुसमाजी पुरोहित रवि सागर ने कहा
कि 1947 में ब्रिटेन से आजादी पाने के अनेक वर्षों बाद भी इन मजदूर अमानवीय परिस्थितियों
में जीवन जीते हैं तथा दुर्भाग्य है कि उनके कष्ट कम नहीं हुए हैं। फादर रवि ने गुवाहाटी
महाधर्मप्रांत में सन 2007 में मानवाधिकारों के लिए कानूनी सहायता सेल का गठन कर वंचित
लोगों की सहायता करना शुरू किया। यह सेल सामाजिक रुप से जागरुक और समर्पित वकीलों की
सहायता से काम करता है। ये वकील लोगों के बीच कानूनी जानकारी का प्रसार करते हैं ताकि
वे आर्थिक सामाजिक और राजनैतिक शोषण के खिलाफ संघर्ष कर सकें। यह सेल अभी असम के चाय
बागानों में कार्यरत श्रमिकों पर अपना ध्यान केन्द्रित कर रही है जहाँ 19 वीं सदी में
ब्रिटिश लोगों ने चाय की खेती आरमभ की थी। निर्धन और आदिवासी श्रमिक अपने पूर्वजों के
काम को जारी रखे हैं। इनमें से अधिकांश गरीब हैं तथा बुनियादी मानवाधिकारों से भी वंचित
किये जाते हैं। सेल के अध्यक्ष फादर चार्ल्स डिसूजा ने कहा वे अपने अधिकारों के प्रति
जागरूक नहीं हैं। यह सेल युवा श्रमिकों के बीच कानूनी दक्षता निर्माण का प्रसार कर रहा
है ताकि वे अपने लोगों के लिए प्रशिक्षक बन सकें। कानूनी सेल ने 10 जिलों के 12 हजार
गाँवो में शिविरों का आयोजन कर 500 लोगों को अदवोकसी स्कीलस सिखाया है। असम राज्य भारत
के वार्षिक चाय उत्पादन 805,180 मिलियन टन का 55 फीसदी उत्पन्न करता है। चाय उत्पादन
के मामले में चीन के बाद भारत का दूसरा स्थान है।